प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का देंगे जवाब

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नई दिल्‍ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सोमवार को संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब दे सकते हैं। ऐसे में जब नए कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमला बोल रहा है… सबकी नजरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन पर होगी। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा पूरी हो चुकी है। किसान अभी भी प्रदर्शन कर रहे हैं ऐसे में देखना होगा कि प्रधानमंत्री कृषि क्षेत्र में किए गए सुधारों पर क्या बोलते हैं? सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री मोदी किसान आंदोलन पर सियासत करने वाले दलों को कड़ी नसीहतें दे सकते हैं। इस बीच, विपक्षी दल कांग्रेस ने अपने सभी सदस्यों को व्हिप जारी करके सोमवार को राज्यसभा के स्थगित होने तक वहां मौजूद रहने को कहा है।

दो दिनों तक नहीं हुए प्रश्नकाल और शून्यकाल
हालांकि शुक्रवार को उच्च सदन के सदस्यों ने काम के निर्धारित घंटों के इतर 33 मिनट अतिरिक्त कार्य किया। विगत तीन फरवरी के हंगामे के बाद अगले दो दिनों तक प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं हुए थे। लेकिन शुक्रवार को एक घंटे का प्रश्नकाल हुआ और धन्यवाद प्रस्ताव के लिए अतिरिक्त समय निकाला गया। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल, 2021 को विधेयक की जगह लाने के लिए इस हफ्ते एक प्रस्ताव भी पेश किया गया। इस हफ्ते उच्च सदन में सात शून्यकाल और सात विशेष उल्लेख भी हुए।

कृषि मंत्री ने बोला था विपक्ष पर हमला
राज्यसभा में चर्चा के आखिरी दिन शुक्रवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग कर रहे विपक्ष पर जमकर हमला बोला था। उन्होंने विपक्षी नेताओं से कहा था कि वे कानून की खामियों को बताएं। कृषि मंत्री ने यह भी पूछा था कि कोई बताए कि आखिर कृषि कानून में काला क्या है? उन्‍होंने कहा था कि नए कृषि कानूनों को काला बता देने भर से बात नहीं बन सकती और ना ही सुधार हो सकता है। पिछले दो महीने से मैं किसानों से भी यही पूछ रहा था। न वहां जवाब मिला और न ही आपके पास है।

सरकार ने कहा- बातचीत के लिए तैयार
इस बीच रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि सरकार फिर से किसान यूनियनों के साथ बातचीत के लिए तैयार है। किसान यूनियन अगर कोई नया प्रस्ताव लेकर आए तो सरकार फिर से वार्ता शुरू कर सकती है। वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी कहा है कि कृषि कानूनों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन का समाधान जल्द ही निकल आएगा। आंदोलन का दायरा सीमित क्षेत्र में ही है। इसके लिए सरकार लगातार किसानों संगठनों से बातचीत कर रही है, आगे भी चर्चा की जाएगी।