कमज़ोर उत्पादन व बर्मा की बिपरीत परिस्थितियों को देखते हुए तुअर में तेज़ी के आसार

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नई दिल्ली। लगभग उत्पादक क्षेत्रों मि मंडियों में नई तुवर की आवक आशानुरुप नही रहने के साथ-साथ बर्मा का हाजिर स्टॉक बीते वर्ष के मुक़ाबले काफ़ी कमजोर रहने से शॉर्टेज की स्थिति बन गई है, जानकर बर्मा की तुवर फ़सल भी अनुमान से कही कमज़ोर रहने की आशंका व्यक्त की जा रही है। इस कारण बीते 10 दिनों के दौरान कीमतें 1000 /1200 रुपये तेज़ हो चुकी है, और इसी लाइन पर 400/ 500 रुपए और बढ़ने के आसार बन गए हैं।

तुवर की नई फसल खरीफ सीजन वाली महाराष्ट्र-कर्नाटक में चल रही है इन दोनों ही राज्यों की तुवर फसल में प्रति हेक्टेयर उत्पादकता कम बैठने से कुल उत्पादन में 35/40 फ़ीसदी की कमी आने की आशंका बन गयी है। दूसरी ओर बर्मा की लेमन तुवर मुंबई एवं मुंदड़ा बंदरगाह पर नहीं के बराबर स्टॉक में रह गयी है। केवल चेन्नई बंदरगाह पर पहले के आए कंटेनर स्टॉक में है और वर्तमान में वही बिक रहे हैं। नए कोई वेसल्स निकट में लगे नहीं है तथा बर्मा में इमरजेंसी लगने से और दहशत का माहौल बन गया है।

आयातक नए सौदे करने में हिचक रहे हैं कि कहीं अटक न जाए। उधर जलगांव, शोलापुर, नागपुर, पुणे लाइन की मिलें तुवर की लगातार खरीद कर रही है, जिससे वहीं पर 7000/7200 रुपए प्रति क्विंटल देसी तुवर के भाव हो गए हैं। लेमन तुवर चेन्नई में 6700 रुपए प्रति कुंतल तक बिक जाने की खबरें मिल रही है। दिल्ली दाल दलहन बाजार में भी क़ीमतें 300 रुपए और बढ़कर आज 6900 रुपए की ऊंचाई पर सुनी गई।

गौरतलब रहे है कि मध्य प्रदेश, बिहार एवं झारखंड की नई तुवर 2 माह बाद ही आएगी, हालाँकि इन क्षेत्रों में भी सब्जियों की बिजाई ज्यादा की गयी है, जिससे तुवर का बिजाई रकवा घट गया है। तुवर का पुराना स्टाक देसी विदेशी माल का मंडियों में बहुत कम बचा है, तथा दाल मिलें हैंड ट्‌ माउथ चल रही हैं। यही कारण है कि तुवर में एक बार फिर कारोबारी तेजी में आ गए है।

माल की कमी को देखते हुए चालू माह के दौरान ही 400/500 रुपए प्रति क्विंटल और तेज़ी देखने मिल सकती हैं, फिलहाल अभी और आगे भी तुवर का व्यापार लाभदायक रहने की उम्मीद है। *बीते वर्ष तुवर का उत्पादन 34/35 लाख मैट्रिक टन आया था, जो इस बार बढ़कर 40.50 लाख मैट्रिक टन पर पहुँचने का सरकारी अनुमान लगाया गया था, लेकिन यह उत्पादन घटकर काफ़ी कमज़ोर रहने के अनुमान मिल रहे है।

देश की सालाना घरेलू खपत तुवर की देसी विदेशी मिलाकर अनुमानित उत्पादन के मुक़ाबले कही काफ़ी ज़्यादा है, इस तरह से घरेलू ख़पत की पूर्ति के लिये देश को बर्मा सहित अन्य अफ़्रीकी देशों से तुवर का आयात करना पड़ेगा। इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए तुवर की कीमतों में अभी और तेज़ी आने के आसार बढ़ गए है।