नयी दिल्ली। कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच शुक्रवार को चल रही 11वें दौर की बैठक समाप्त हो गई है। यह बैठक भी बेनतीजा रही। किसान नेताओं के अनुसार अगली बैठक के लिए सरकार की ओर से कोई तारीख तय नहीं की गई। आज की बैठक में सरकार ने यूनियनों को दिए गए सभी संभावित विकल्पों के बारे में बताया और कहा कि उन्हें कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव पर अंदरूनी चर्चा करनी चाहिए।
केंद्र सरकार का कहना है कि उन्होंने किसानों को सभी प्रस्ताव दे दिए हैं, लेकिन अगर किसानों के पास कुछ बेहतर विकल्प है तो वे सरकार के पास इसे लेकर आ सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर लगातार जारी बैठकों को कोई नतीजा ना निकलता देख अपना रुख सख्त कर लिया है। बताया जा रहा है कि सरकार ने किसानों को कहा है कि सबसे बढ़िया और आखिरी प्रस्ताव उन्हें दिया जा रहा है। आगे कोई और प्रस्ताव नहीं दिया जाएगा।
किसान यूनियनों ने इस बैठक में भी सरकार से कहा कि वे चाहते हैं कि तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद्द किया जाए। बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘सरकार की तरफ से कहा गया कि 1.5 साल की जगह 2 साल तक कृषि क़ानूनों को स्थगित करके चर्चा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अगर इस प्रस्ताव पर किसान तैयार हैं तो कल फिर से बात की जा सकती है, कोई अन्य प्रस्ताव सरकार ने नहीं दिया। ‘ राकेश टिकैत ने कहा कि हमने अपनी स्थिति सरकार को स्पष्ट रूप से बता दी कि हम कानूनों को निरस्त करना चाहते हैं न कि स्थगित करना। 26 नवंबर को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली पहले की तरह ही आयोजित की जाएगी।
किसान संगठन आज की बैठक में केंद्र सरकार के रुख से नाराज दिखे। किसान मजदूर संघर्ष कमिटी के नेता एसएस पंढेर ने कहा, ‘मंत्री ने हमें साढ़े तीन घंटों तक इंतजार करवाया। जब वो आए तो उन्होंने हमें सरकार के प्रस्तावों पर विचार करने के लिए कहा और कहा कि वे बैठकों की प्रक्रिया समाप्त कर रहे हैं। आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा।’
दिल्ली रवाना हुईं किसानों की विधवाएं
केन्द्र सरकार ने हालांकि किसान नेताओं से 12-18 महीनों तक इन कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित रखने संबंधी उसके प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने के लिए कहा। लगभग दो महीने से चले आ रहे गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों के बीच आज 11वें दौर की बातचीत हुई। बुधवार को हुई बातचीत के पिछले दौर में सरकार ने तीन कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित रखने और समाधान निकालने के लिए एक संयुक्त समिति बनाने की पेशकश की थी।
किसान संगठनों ने बातचीत से पहले खारिज किए प्रस्ताव
हालांकि गुरुवार को विचार-विमर्श के बाद किसान यूनियनों ने इस पेशकश को खारिज करने का फैसला किया और वे इन कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दिए जाने की अपनी दो प्रमुख मांगों पर अड़े रहे। किसान नेता दर्शन पाल ने बातचीत के पहले सत्र के बाद कहा , ‘हमने सरकार से कहा कि हम कानूनों को निरस्त करने के अलावा किसी और चीज के लिए सहमत नहीं होंगे। लेकिन मंत्री ने हमें अलग से चर्चा करने और मामले पर फिर से विचार कर फैसला बताने को कहा।’