नई दिल्ली। प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ सरकार की बातचीत में गतिरोध बरकरार रहने के बीच उच्चतम न्यायालय नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं और दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करेगा।
केंद्र और किसान संगठनों के बीच सात जनवरी को हुई आठवें दौर की बाचतीच में भी कोई समाधान निकलता नजर नहीं आया, क्योंकि केंद्र ने विवादास्पद कानून निरस्त करने से इनकार कर दिया जबकि किसान नेताओं ने कहा कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं और उनकी ‘घर वापसी’ सिर्फ ‘कानून वापसी’ के बाद होगी।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा सोमवार को की जाने वाली सुनवाई महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्र और किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को अगली बैठक निर्धारित है।शीर्ष न्यायालय को केंद्र सरकार ने पिछली तारीख पर बताया था कि उसके और किसान संगठनों के बीच सभी मुद्दों पर ‘स्वस्थ चर्चा’ जारी है और इस बात की संभावना है कि दोनों पक्ष निकट भविष्य में किसी समाधान पर पहुंच जाएं।
अदालत ने तब सरकार को भरोसा दिया था कि अगर वह उससे कहेगी कि बातचीत के जरिये समाधान संभव है तो वह 11 जनवरी को सुनवाई नहीं करेगी। अदालत ने कहा था कि हम स्थिति को समझते हैं और चर्चा को बढ़ावा देते हैं। हम सोमवार (11 जनवरी) को मामला स्थगित कर सकते हैं अगर आप जारी वार्ता प्रक्रिया की वजह से ऐसा अनुरोध करेंगे तो।
आठवें दौर की बातचीत के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका क्योंकि किसान नेताओं ने कानून को निरस्त करने की अपनी मांग का कोई विकल्प नहीं सुझाया। किसानों की एक संस्था ‘कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स असोसिएशन’ (सीआईएफए) ने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया और मामले में पक्षकार बनाए जाने का अनुरोध किया।
उसने कहा कि कानून किसानों के लिए ‘फायदेमंद’ हैं और इनसे कृषि में विकास और वृद्धि आएगी। उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले तीनों विवादित कृषि कानूनों को लेकर दायर कई याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगा था।
कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन के लिए सोमवार का दिन बेहद अहम साबित हो सकता है। सरकार और किसान संगठन दोनों की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के रुख पर टिकी है। दोनों ही पक्ष इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के रुख के अनुरूप ही भावी रणनीति तैयार करेंगे। इस मामले में दोनों पक्षों के बीच हुई आठ दौर की बातचीत बेनतीजा रही है।
गौरतलब है कि अब तक हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने विवाद के निपटारे के लिए चर्चा पर जोर दिया था। बीते हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलन के कारण कोरोना संक्त्रस्मण के खतरे पर चिंता जाहिर की थी। सरकार से आंदोलन के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल को पूरा करने संबंधी जानकारी मांगी थी।
इसके बाद हुई आठवें दौर की बातचीत में भी किसान संगठन कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग पर अड़े रहे। जबकि सरकार ने साफ कर दिया कि वह कानून वापसी की जगह उन प्रावधानों पर चर्चा करेगी जिस पर किसान संगठनों को आपत्ति है।
सरकार की तैयारी
सोमवार की सुनवाई के लिए सरकार ने व्यापक तैयारी की है। सुनवाई के दौरान सरकार दलील देगी कि किसान संगठन वार्ता के जरिए हल निकालने के इच्छुक नहीं हैं। इस दौरान सरकार यह भी दलील देगी कि उसकी ओर से किसान संगठनों को बार-बार वार्ता के लिए बुलाया गया है। सरकार ऐसे संगठनों का भी नाम लेगी जो इन कानूनों के समर्थन में हैं।
सरकार की ओर से कहा जाएगा कि कानून का विरोध देश के कुछ राज्यों और कुछ किसान संगठनों तक ही सीमित है। सरकार यह भी बताएगी कि उसने अपनी ओर से तीनों कानूनों के 21 प्रावधानों में संशोधन का भी प्रस्ताव किसान संगठनों को दिया था। सरकार के रणनीतिकारों को उम्मीद है कि इस सुनवाई से विवाद खत्म करने के लिए बीच का रास्ता निकल सकता है।
किसान संगठनों ने भी इस सुनवाई से ढेरों उम्मीदें पाल रखी हैं। दरअसल सुनवाई के शुरुआती दौर में शीर्ष अदालत ने वार्ता जारी रहते तीनों कानूनों को लागू करने पर अस्थाई रोक लगाने का सुझाव दिया था। किसान संगठनों को लगता है कि कानूनों पर अस्थाई रोक के बाद बातचीत से विवाद का हल निकाला जा सकता है। ऐसी स्थिति में सरकार ज्यादातर विवादास्पद प्रावधानों को वापस लेने और एमएसपी पर ही फसल खरीद का कोई बेहतर मॉडल तैयार कर सकेगी।
चिल्ला, गाजीपुर, टीकरी और धंसा बार्डर बंद
प्रदर्शनों को देखते हुए नोएडा और गाजियाबाद से दिल्ली आने वाले के लिए चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर बंद कर दिया गया है। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने रविवार को यह एडवाइजरी जारी की। लोगों को आनंद विहार, डीएनडी फ्लाईवे, भोपरा और लोनी बॉर्डर से दिल्ली आने वाले लोगों को वैकल्पिक रास्ता लेने की हिदायत दी गई है। इसके साथ ही टीकरी और धनसा बार्डर भी आवाजाही के लिए बंद कर दिए गए हैं। वहीं, झटिकारा बार्डर ही हल्के वाहनों और दोपहिया वाहनों व पैदल आने-जाने वालों के लिए खोला गया है। हरियाणा में सिंघु, औछंदी, पियाउ मनियारी, सबोली और मंगेश बार्डर पहले की तरह ही बंद हैं।
नए माहौल में होगी 15 जनवरी की वार्ता
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद इन कानूनों और आंदोलन के संदर्भ में शीर्ष अदालत का रुख सामने आ जाएगा। इस कारण 15 जनवरी को होने वाली वार्ता नए माहौल में होगी। वार्ता में किस पक्ष का रुख नरम होगा यह भी शीर्ष अदालत के रुख से ही स्पष्ट होगा।