अर्नब को झटका : SC का एआरजी मीडिया की याचिका पर विचार से इनकार

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ‘औपनिवेशिक काल’ के 1922 के एक कानून की वैधता को चुनौती देने वाली अर्नब गोस्वामी की कम्पनी एआरजी आउटलियर मीडिया प्रा.लि. की याचिका पर गुरुवार को विचार करने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क का स्वामित्व रखने वाली इस कंपनी से कहा कि वह बांबे हाई कोर्ट का रुख करें।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमणियन की पीठ 1922 के इस कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पुलिस (द्रोह उद्दीपन) कानून,1922, पुलिस बल में विद्रोह भड़काने के अपराध से संबंधित कानून है। महाराष्ट्र में रिपब्लिक टीवी के कुछ पत्रकारों के खिलाफ मुंबई पुलिस को कथित रूप से बदनाम करने और पुलिस बल के सदस्यों में ही कटुता पैदा करने के प्रयास के आरोप में इसी कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

रिपब्लिक टीवी ने इस मामले में दर्ज प्राथमिकी को मीडिया के अधिकारों पर हमला करार देते हुए कहा है कि वह इस तरह के प्रत्येक हथकंडे के खिलाफ संघर्ष करेगा। एआरजी आउटलियर मीडिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ भटनागर ने न्यायालय से कहा कि इस याचिका में औपनिवेशिक काल के कानून की वैधता को चुनौती दी गयी है, जिसका अब बोलने की आजादी पर अंकुश लगाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। पीठ ने कहा, ‘इसमें कार्रवाई महाराष्ट्र में हो रही है। आप (बांबे) हाई कोर्ट क्यों नहीं जाते।’ शीर्ष अदालत ने भटनागर को यह याचिका वापस लेने और उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता प्रदान कर दी।