मुंबई। सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक को अंतरिम जमानत देने से इन्कार कर दिया। अर्नब गोस्वामी और दो अन्य पर एक इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। जस्टिस एस के शिंदे और एम एस कार्णिक की खंडपीठ ने कहा कि हाईकोर्ट की ओर असाधारण क्षेत्राधिकार के इस्तेमाल के लिए अन्य विकल्प मौजूद हैं। पीठ ने एक बार दोहराया कि याचिकाकर्ता सेशन कोर्ट (निचली अदालत) में अपनी याचिका दायर कर सकते हैं, जहां चार दिन में आवेदन पर फैसला लिया जा सकता है।
वहीं, कल यानी शनिवार को इस मामले पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों ने अपनी अंतरिम जमानत पर रिहा होने के लिए कोर्ट से अपील की थी। इस दौरान हुई सुनवाई पर कोर्ट ने कहा था कि इस मामले के लंबित रहने तक याचिकाकर्ताओं पर नियमित जमानत के लिए संबंधित निचली अदालत पर जाने पर कोई रोक नहीं है।
तलोजा जेल में बंद हैं अर्णब
रविवार को अर्णब को अलीबाग से तलोजा जेल ले जाया गया। जेल जाने के दौरान वैन में सवार अर्णब ने कहा था कि उनकी जान को खतरा है। साथ ही यह भी कहा कि उनके वकीलों से उन्हें मिलने नहीं दिया जा रहा है। साथ ही अर्णब ने आरोप लगाया कि उनके साथ मार-पीट की गई है।
अर्नब को बंद हुए केस में किया गया गिरफ्तार
गौरतलब है कि अर्नब गोस्वामी को चार नवंबर को उनके घर से एक बंद हुए केस में गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें अलीबाग कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए अर्नब गोस्वामी को 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। जिसके बाद उन्हें अलीबाग क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया था। हालांकि आठ नवंबर को अर्नब गोस्वामी को तलोज जेल शिफ्ट कर दिया गया था।
अलीबाग सत्र अदालत में दी जमानत याचिका
इस बीच, अर्नब गोस्वामी ने अलीबाग सत्र अदालत में सोमवार को जमानत याचिका दायर की है। सत्र अदालत फिलहाल मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले की समीक्षा याचिका पर भी सुनवाई कर रही है। याचिका में अलीबाग पुलिस ने गोस्वामी और मामले के दो अन्य आरोपियों को पुलिस हिरासत में नहीं भेजने और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने के मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले को चुनौती दी है। गोस्वामी के वकील गौरव पारकर ने इस बात की जानकारी दी।