मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने जिस तरह निचली अदालत को मैनेज किया, उसी तरह मुंबई हाई कोर्ट के जजों को भी मैनेज कर लिया है। इस कारण रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को शुक्रवार को तत्काल कोई राहत नहीं मिली। बम्बई उच्च न्यायालय में उनकी अंतरिम जमानत अर्जी पर सुनवायी अधूरी रही। गोस्वामी को आत्महत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के 2018 के एक मामले में गिरफ्तार किया गया है।
जबकि हकीकत यह है की अर्णब गोस्वामी को महाराष्ट्र सरकार ने नायक की विधवा और उसकी बेटी को लालच देकर केस को रीओपन करने के लिए एक एप्लिकेशन ली। यह सत्य भी यहां बताना जरूरी है कि उसने नायक का 90 प्रतिशत भुगतान कर दिया था। असल में आत्महत्या की वजह नायक दम्पत्ति के बीच तलाक का केस था।
न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति ए एस कार्निक की एक खंडपीठ ने कहा कि वह समय की कमी के चलते सुनवायी शनिवार को जारी रखेगी। अदालत ने कहा, ‘हम इस मामले की सुनवायी के लिए विशेष तौर पर कल दोपहर में बैठेंगे।’
गोस्वामी को बुधवार को मुंबई स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया गया था और अलीबाग ले जाया गया जहां उनके खिलाफ उनकी कंपनी द्वारा बकाये का कथित रूप से भुगतान नहीं करने को लेकर इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां को आत्महत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के आरोप में एक मामला दर्ज किया गया था।
अलीबाग जेल के कोविड-19 केन्द्र में बंद हैं अर्नब
पत्रकार गोस्वामी को 18 नवम्बर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। गोस्वामी वर्तमान में अलीबाग में एक स्कूल में बंद हैं जिसे अलीबाग जेल के लिए एक कोविड-19 केंद्र बनाया गया है। इससे पहले रायगढ़ पुलिस की एक टीम ने अर्णब को बुधवार सुबह मुंबई में उनके घर से हिरासत में लिया था। पुलिस वैन में बैठाए जाने के बाद अर्णब ने दावा किया कि पुलिस ने उनके साथ हाथापाई भी की है। हालांकि पुलिस की ओर से जारी वीडियो में अर्नब पुलिस के काम में बाधा डालते दिख रहे हैं।