नई दिल्ली। मोदी सरकार ने अपने अगले आम बजट की तैयारियां शुरू कर दी हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने एक इंटरव्यू में बताया कि अगले बजट में उनका फोकस पूरी तरह इन्फ्रास्ट्रक्चर (infrastructure) और सुधारों (reforms) पर होगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि कई आर्थिक आंकड़ों (Economic Indicators) से साफ संकेत मिल रहे हैं कि इकॉनमी अब पटरी पर लौटने लगी है लेकिन रिकवरी को स्थाई बनाने के लिए यह जरूरी है कि ये आंकड़े लगातार इसी स्तर पर बने रहें। उन्होंने स्वीकार किया कि महंगाई हमेशा से सरकार के लिए चिंता की बात रही है और आपूर्ति में मामूली बाधा से ही समस्या गहरा जाती है। केवल व्यवस्थागत सुधारों, बेहतर भंडारण, जल्दी खराब होने वाली चीजों के बेहतर रखरखाव से ही मदद मिलेगी। हम इस पर काम कर रहे हैं।
विनिवेश (Disinvestment) की धीमी प्रक्रिया के बारे में उन्होंने कहा कि इसमें कई फैक्टर हैं। इन सबका ध्यान रखना पड़ता है। इसमें कई प्रक्रियाओं को पालन करना पड़ता है। कोविड-19 ने स्थिति को और मुश्किल बना दिया है। सरकार की इस बात के लिए आलोचना हो रही है कि सरकार के राहत उपायों से मध्य वर्ग को कुछ हासिल नहीं हुआ। इस पर सीतारमण ने कहा कि मिडल क्लास कोई एक कैटगरी नहीं है, वे हर जगह हैं। ईपीएफओ से जुड़े जो उपाय किए गए, उससे मध्य वर्ग को फायदा हुआ
राज्यों के साथ जीएसटी मुआवजे के मुद्दे पर विवाद के बारे में उन्होंने कहा कि कोई भी मुद्दा बातचीत से हल हो सकता है और जीएसटी काउंसिल एक मजबूत और सक्रिय फोरम है। लेकिन बहस को फेडरेलिज्म के लिए खतरा नहीं माना जाना चाहिए। अगर हर बार आम सहमति न बने तो फैसला नहीं लिया जाना चाहिए या फैसले को संदेह से देखा जाना चाहिए, यह स्वीकार्य नहीं है।