नई दिल्ली। सरकार ने सहकारी बैंकों (Cooperative Banks) को आरबीआई के दायरे में लाने के लिए बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट में संशोधन से संबंधित विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश किया। इसका मकसद जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक को पेश किया। यह जून में लाए गए अध्यादेश की जगह लेगा।
बिल पर चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर राज्यों के अधिकारों में दखलंदाजी करने का आरोप लगाया। लेकिन इन आरोपों को खारिज करते हुए सीतारमण ने कहा कि राज्यों के सहकारी कानूनों को नहीं छेड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून का मकसद सहकारी बैंकों को ऐसे नियमों के दायरे में लाना है जो दूसरे बैंकों पर लागू होते हैं।
जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा
इस विधेयक को पेश करने पर उठाई गई आपत्तियों का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि यह विधेयक मुख्य रूप से सहकारी बैंकों में जमाकर्ताओं की सुरक्षा के उद्देश्य से है और यह केवल उन सहकारी समितियों पर केंद्रित है जो ‘बैंक’ शब्द का उपयोग करते हैं और इसलिए जमा के साथ प्राप्त और व्यवहार करते हैं। वित्त मंत्री ने इस विवाद को भी खारिज कर दिया कि लोकसभा के पास इस विधेयक के लिए कोई विधायी क्षमता नहीं है क्योंकि यह सहकारी समितियों के विषय से संबंधित है, जो संविधान की राज्यों की सूची में है।
उन्होंने कहा, ‘इस घर की विधायी क्षमता संघ सूची के प्रवेश संख्या 45 के तहत अच्छी तरह से स्थापित है। बैंकिंग का विनियमन भी प्रवेश संख्या के अंतर्गत आता है। संघ सूची का 43। विधेयक केवल उन सहकारी समितियों पर लागू होगा जो शब्द बैंक, बैंकर या बैंकिंग का उपयोग करते हैं।’
पिछला बिल वापस लिया
कांग्रेस सांसद शशि थरूर के इस मुद्दे पर कि अदालत में कानूनी चुनौती है और इसलिए लोकसभा विधेयक पेश करने से आगे नहीं बढ़ सकती है, सीतारमण ने कहा कि कोई अंतरसंबंधी राहत नहीं है जो अदालत में प्रदान की गई है और वहां भी है इस अध्यादेश के संचालन के मामले में अदालत द्वारा कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि देश में सहकारी बैंकों को 1965 से आरबीआई द्वारा विनियमित किया गया है और यह विधेयक केवल प्रयोज्यता का विस्तार करना चाहता है ताकि कुछ बैंकिंग विनियमन कानून उन पर भी लागू हों।
केंद्र सरकार ने सोमवार को मॉनसून सत्र के पहले दिन बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 को वापस ले लिया। सीतारमण ने विधेयक को वापस लेने के लिए लोकसभा में यह कहते हुए एक प्रस्ताव रखा कि वह इस साल 3 मार्च को विधेयक लेकर आई थीं और बाद में एक अध्यादेश पारित किया गया था। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक को संकटग्रस्त सहकारी बैंकों को पुनर्गठन का मौका देने वाली कुछ चीजों को जोड़ने के लिए विधेयक को वापस लिया जा रहा है, जो कि बहुत जरूरी है। बाद में सदन ने विधेयक को वापस लेने के लिए अपनी मंजूरी दे दी।
पीएमसी बैंक जैसे मामलों से निपटने के लिए उठाया जा रहा कदम
सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित कानून से पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (PMC Bank) जैसे संकट की पुनरावृत्ति को रोका जा सकेगा। देश में कुल 1,540 सहकारी बैंक हैं। इनमें बैंकों के जमाकर्ताओं की संख्या 8.60 करोड़ है। इन जमाकर्ताओं की सहकारी बैंकों में कुल जमा पांच लाख करोड़ रुपये है। भारतीय रिजर्व बैंक सामान्य बैंकिंग संस्थाओं की तरह को-ऑपरेटिव बैंकों के विनियमन का भी पूरा अधिकार चाहता है।.