‘गलत एक्सरे ने जब मुझे मौत के करीब पहुंचा दिया, रिटायर्ड डॉक्टर की आपबीती

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कोटा। कोविड को लेकर हमारी चिकित्सा सेवाएं कितनी बेहतर हैं, इसका सामना मेडिकल कॉलेज से ही रिटायर्ड एक वरिष्ठ चिकित्सक (64 वर्ष) ने किया। उन्हें प्रशासन द्वारा अधिग्रहित किए गए एक निजी हॉस्पिटल में एडमिट किया था। वे बताते हैं कि मुझे 28 अगस्त को बुखार आया, ताे अगले दिन मैंने प्राइवेट लैब में सीटी स्कैन व खून संबंधी जरूरी जांचें करा ली

सीटी स्कैन क्लीयर था, लेकिन खून की जांचों में कुछ बदलाव आ रहे थे, जो कोविड के ही संकेत दे रहे थे। इस पर 30 अगस्त को एमबीएस जाकर मैं और मेरी पत्नी सैंपल दे आए। अगले दिन लैब से ही कॉल आ गया कि आप पॉजिटिव हैं, आपकी पत्नी निगेटिव हैं।

रिटायर्ड डाॅक्टर के अनुसार इसी बीच मेरा सेचुरेशन 94 तक आ गया। साथी डाॅक्टराें ने कहा कि आपको रेमडेसिविर इंजेक्शन लगवा लेना चाहिए। मैंने मेडिकल कॉलेज में साथी डॉक्टरों से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि ये इंजेक्शन एडमिट करके ही लगाए जा सकते हैं, बाजार में उपलब्ध नहीं है। इस पर मैं 31 अगस्त को मेडिकल कॉलेज गया।

वहां बताया गया कि अधिग्रहित किए हुए प्राइवेट हॉस्पिटल में अच्छी व्यवस्थाएं हैं, इसलिए आप वहां शिफ्ट हो जाओ। मैं और एक अन्य डॉक्टर को 31 अगस्त की शाम को वहां शिफ्ट कर दिया गया। शाम करीब 5 बजे हमने रेमडेसिवीर लगवाने के लिए कहा, तो वहां मौजूद उसी हॉस्पिटल के एक रेजीडेंट ने कहा कि ये इंजेक्शन मेडिकल कॉलेज से आएंगे। वहीं, उन्होंने रात को एक एक्सरे करा लिया।

एक्सरे देख डॉक्टर दाेस्त बोला-आपका एक फेफड़ा खराब हो चुका
सुबह मैंने वह एक्सरे एक रेडियोलॉजिस्ट दोस्त को भेजा तो उसने कहा कि आप जयपुर एडमिट हो जाओ, क्योंकि आपका एक फेफड़ा पूरा खत्म हो चुका है और अचानक सेचुरेशन फॉल हो सकता है। यही एक्सरे मैंने अमेरिका में रह रहे अपने बच्चों को भेजा तो उन्होंने कोविड टेस्ट कराकर भारत आने के लिए टिकट बुक करा लिए।

घर पर पत्नी ने भी रोना शुरू कर दिया और मुझे एक तरह से मौत सामने दिखने लगी। लेकिन मुझे बार-बार यही डाउट था कि यह एक्सरे मेरा नहीं हो सकता। मैंने रिपीट एक्सरे कराने काे कहा, ताे वहां मौजूद स्टाफ ने कहा कि एक्सरे कर भी देंगे तो पैसा कौन देगा? इस पर मैं 10 हजार रुपए निकालकर देने लगा तो वह बोला कि अभी मेडिकल कॉलेज वाले आ जाएं, उसके बाद देखेंगे।

मरीज की चिंता जायज थी
मैंने दाेनाें एक्सरे देखे हैं। पहले वाले एक्सरे काे देखकर चिंतित हाेना स्वाभाविक था, क्याेंकि उसमें एक फेफड़े में फाइब्राेसिस और ट्यूबरकुलाेसिस जैसी पिक्चर दिख रही है। दूसरा एक्सरे पूरी तरह नाॅर्मल है। यह सब कैसे हुआ, यह ताे वही बताएं, जिन्हाेंने एक्सरे किया, लेकिन पहले वाले एक्सरे के हिसाब से मरीज की चिंता जायज थी।
डाॅ. मुकुल काेकास, सीनियर रेडियाेलाॅजिस्ट