मुंबई। आयकर विभाग (इनकम टैक्स) ने अब बैंकों के साथ टैक्स भरनेवालों की पूरी जानकारी को साझा करने का निर्णय लिया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि आयकर विभाग के अधिकारी अब शेड्यूल कॉमर्शियल बैंकों के साथ करदाताओं की जानकारी साझा कर सकते हैं। इस कदम से बैंकों को यह तय करने में आसानी हो जाएगी कि उन्हें किस ग्राहक का टीडीएस काटना और किसका नहीं।
फॉर्म 15 जी और 15 एच को वैलिडेट किया जाएगा
टैक्स विभाग द्वारा जानकारी साझा करने के बाद बैंक अपने ग्राहकों के फॉर्म 15 जी और 15 एच को वैलिडेट कर पाएंगे। इसके साथ ही पूर्व के टैक्स रिटर्न से विवरण का मिलान कर सकेंगे। सीबीडीटी ने 31 अगस्त को शेड्यूल कॉमर्शियल बैंक को जानकारी साझा करने के लिए कुछ नियमों में जरूरी बदलाव भी किया। सीबीडीटी व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेट टैक्स के संदर्भ में निर्णय करने वाली शीर्ष संस्था है।
आयकर की धारा 138 के तहत जानकारी होगी साझा
आयकर अधिनियम की धारा 138 आयकर अधिकारियों को टैक्सपेयर्स की जानकारी को अन्य एजेंसियों के साथ साझा करने का अधिकार देती है। इन बैंकों को उन संगठनों की लिस्ट में शामिल किया गया है, जिनके साथ टैक्स अधिकारी करदाताओं से जुड़ी जानकारी साझा कर सकते हैं। इससे देश के बैंकिंग उद्योग से जुड़ी कई तरह की प्रशासनिक दिक्कतों का समाधान हो जाएगा।
शेडयूल्ड कमर्शियल बैंकों को होगी आसानी
आयकर अधिनियम की धारा 138 में इन बैंकों को शामिल किए जाने से शेडयूल्ड कमर्शियल बैंकों को विभिन्न तरह के पेमेंट पर अपने ग्राहकों के टीडीएस कटौती के बारे में निर्णय करने में आसानी होगी। इनकम टैक्स विभाग की इस योजना से टैक्स नहीं काटने में मदद मिलेगी। इससे सालाना रिफंड से भी इनकम टैक्स विभाग बच जाएगा। दरअसल जितना भी टीडीएस कटता है, उसमें से ज्यादातर इंडिविजुअल टैक्स देनेवाले लोग उसके रिफंड के लिए आवेदन करते हैं। फिर यह पैसा इनकम टैक्स विभाग उन्हें वापस देता है।