मुंबई। कोरोना वायरस का प्रकोप झेल रही अर्थव्यवस्था को उबारने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रीपो में 0.25 फीसदी की और कटौती कर सकता है। आरबीआई के गवर्नर की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिन चलने वाली बैठक चार अगस्त से शुरू होनी है और छह अगस्त को इस बारे में कोई घोषणा की जाएगी।
रिवर्स रीपो में 35bps कटौती की उम्मीद
केंद्रीय बैंक कोविड-19 महामारी के प्रकोप से अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान और लॉकडाउन के असर को सीमित करने के लिए लगातार कदम उठा रहा है। इससे पहले MPC की बैठक मार्च और मई 2020 में हो चुकी है, जिनमें नीतिगत रीपो दरों में कुल 1.15 फीसदी की कटौती की गई। इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘हम रीपो दर में 0.25 फीसदी और रिवर्स रीपो दर में 0.35 फीसदी कटौती की उम्मीद कर रहे हैं।’
खुदरा महंगाई के दायरे में आने की उम्मीद
इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ राजकिरण राय ने कहा, ‘0.25 फीसदी कटौती की संभावना है या वे दर को यथावत रख सकते हैं।’ नायर ने आगे कहा हालांकि, खुदरा मुद्रास्फीति MPC के लक्ष्य दो-छह फीसदी के दायरे को पार कर गई है, लेकिन इसके अगस्त 2020 तक वापस इस सीमा के भीतर फिर आने की उम्मीद है।
डेट री-स्ट्रक्चरिंग पर रहे फोकस
उद्योग संघ एसोचैम का कहना है कि उद्योगों को हो रही समस्याओं को देखते हुए आरबीआई को ऋण पुनर्गठन (Debt restructuring) पर अधिक ध्यान देना चाहिए। एसोचैम ने कहा कि उद्योग में बड़े पैमाने पर ऋण अदायगी में चूक को रोकने के लिए ऋण के तत्काल पुनर्गठन की जरूरत है। जैसा कि आरबीआई की ताजा रिपोर्ट से साफ है कि बैंकों और कर्जदारों दोनों के लिए पुनर्गठन जरूरी है।