नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्यमियों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। जीएसटी से जैसे-जैसे राजस्व बढ़ेगा सरकार उसका लाभ एसएमई को वित्तीय मदद के रूप में देगी यानी छोटे-मझोले उद्योगों को आसानी से कर्ज उपलब्ध होगा।
यह बात केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल ने भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित दिल्ली एसएमई फाइनैंस सम्मेलन के दौरान कही। मेघवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने एसएमई की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए मुद्रा, स्टैंड-अप इंडिया जैसी कई योजनाएं शुरू की हैं।
मुद्रा के तहत 7.5 करोड़ लोगों को कर्ज दिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि एसएमई को प्राथमिकता के आधार पर कर्ज दिलाने की दिशा में सरकार काम कर रही है। जीएसटी लागू होने के बाद अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम कर रहे छोटे उद्योग औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनेंगे, जिससे उनके कर्ज की दिक्कतें दूर हो सकती है।
इस समय 2.36 फीसदी छद्म अर्थव्यवस्था है, जो जीएसटी के बाद औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन सकती है। बैंकों को कर्ज देने की पद्घति में सुधार करने को कहा गया है। जीएसटी के तहत जैसे जैसे राजस्व बढ़ेगा, उसका फायदा एसएमई को वित्तीय मदद के रूप में दिया जाएगा।
मेघवाल ने कहा कि सरकार एसएमई के लिए वित्तीय प्रोत्साहन वाली योजनाओं पर जोर देगी। सीआईआई दिल्ली एसएमई पैनल के संयोजक ज्योति प्रकाश गाडिया ने कहा एसएमई को 26 लाख करोड़ रुपये कर्ज की जरूरत है, लेकिन 11 लाख करोड़ रुपये का कर्ज ही मिल पा रहा है।
जाहिर है, 15 लाख करोड़ रुपये का बड़ा अंतर है। सरकार को इस दिशा में काम करना चाहिए। गाडिया का मानना है कि जीएसटी से बैंक व एसएमई के बीच कर्ज के मामले में भरोसा बढ़ेगा, जिससे एसएमई को कर्ज मिलने में पहले से आसानी हो सकती है।