गुड न्यूज/ देश में शुरू हुआ कोरोना का ‘लॉकडाउन’, रिकवरी रेट 63.02% हुई

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नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus in India) पर कंट्रोल बेहतर हो रहा है। जैसे-जैसे डिस्‍चार्ज होने वाले मरीजों की संख्‍या बढ़ रही है, रिकवरी रेट (Recovery rate) भी तेजी से ऊपर जा रहा है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि कोरोना इन्‍फेक्‍शन कुछ राज्‍यों तक सीमित रह गया है। यानी कंटेनमेंट के लिए जो कदम उठाए गए हैं, उनका असर दिख रहा है।

मंगलवार तक के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 3,11,565 ऐक्टिव मरीज थे जबकि 5,71,459 को डिस्‍चार्ज किया जा चुका था। यानी रिकवर होने वाले पेशंट्स की संख्‍या ऐक्टिव केसेज के 1.8 गुना से भी ज्‍यादा है। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के मुताबिक, 3 मई को जहां देश का रिकवरी रेट 26.59% था, वही अब यह 63.02% हो गया है।

20 राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों का रिकवरी रेट बेहतर

सिर्फ 2 राज्‍यों में 50% ऐक्टिव केस
आंकड़ों के मुताबिक, देश के 86 फीसदी ऐक्टिव कोविड केस 10 राज्‍यों से हैं। यह आंकड़ा और सेंट्रिक तब हो जाता है जब हम सिर्फ दो राज्‍यों पर फोकस करते हैं। महाराष्‍ट्र और तमिलनाडु को मिला दें तो देश के 50% ऐक्टिव केसेज यहीं पर हैं।

यूपी, बिहार में टेस्‍ट हो रहे कम
कोरोना टेस्टिंग एक अहम पैमाना है यह जांचने का कि कोई राज्‍य कितने बेहतर ढंग से महामारी को मैनेज कर रहा है। प्रति 10 लाख आबादी पर टेस्‍ट की संख्‍या देखें तो गोवा ने 1,058 लोगों का टेस्‍ट किया है। दिल्‍ली 978 टेस्‍ट/प्रति 10 लाख के साथ दूसरे नंबर पर है। ओवरऑल भारत में प्रति 10 लाख आबादी पर 201 टेस्‍ट हो रहे हैं।

नए केसेज का डेली ग्रोथ रेट भी हुआ कम
हेल्‍थ मिनिस्‍ट्री ने पिछले साढ़े तीने महीने के दौरान नए केसेज में डेली ग्रोथ रेट में तेजी से कमी आने का दावा किया है। जबकि सोमवार को 29,498 नए केसेज के साथ, मंगलवार शाम तक कोरोना केसेज का आंकड़ा नौ लाख के पार जा चुका था।

अब 3.24% की स्‍पीड से बढ़ रहे नए केस
मंत्रालय में ऑफिसर ऑन स्‍पेशल ड्यूटी, राजेश भूषण के मुताबिक, मार्च में डेली ग्रोथ रेट करीब 31% था जो मई में घटकर 9% और मई के आखिर तक करीब 5% हो गया। 12 जुलाई के आंकड़े देखें तो यह 3.24% हो गया है।

अधिकारियों ने कहा, संक्रमण की दर घटी
स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इन्‍फेक्‍शन फैलना जारी रहने बावजूद, डेली ग्रोथ रेट में कमी आना कोविड के खिलाफ प्रभावी क्लिनिकल मैंनेजमेंट स्‍ट्रैटजी का नतीजा है। उन्‍होंने कहा कि कम ऐक्टिव केस होने का यह भी मतलब है कि ट्रांसमिशन कम स्‍पीड से हो रहा है।