कोटा। कार्तिकेय एज्यूकेशन एण्ड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की अध्यक्ष मीना नामा ने जिला स्वास्थ्य समिति एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कोटा पर नियमों को ताक रखकर चहेतों को टेंडर देने का आरोप लगाया है।
उन्होंने शनिवार को पत्रकार वार्ता में बताया कि मेनपावर सप्लाई के लिए निविदा क्रमांक 71 दिनांक 17 अप्रेल 2020 के तहत जारी की गई निविदाओं में फर्जीवाडा हुआ है। नियमों का उलंघन करते हुए अपनी चहेती फर्म को टेंडर जारी कर दिए गए हैं, जो सरासर नियम विरूद्ध हैं। 10 अप्रेल 2020 को निविदाएं प्रकाशित की गई थी। 17 अप्रेल 2020 सुबह 9 बजे से 2 मई 2020 तक उसे online डाउनलोड किया जा सकता था। 6 मई 2020 दोपहर 3 बजे तक निविदा फार्म की अंतिम तिथि थी। 8 मई 2020 को सायं 4 बजे तक निविदाएं खोलनी थी, जिसे 22 जून 2020 तक फाइनल नहीं किया जा सकता था।
उन्होंने आरोप लगाया कि अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए बार-बार हमे परेशान किया गया और जिन दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं थी उन्हें भी अल्प समय में मंगवाया गया। उसके बाद भी हमारी फर्म ने सभी शर्ते व नियमों को पूरा किया। सभी मांगी गई आपत्तियों के जवाब लिखित में दिए गए उसके बाद भी इस्टीट्यूट को निविदा प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया और कारण पूछने पर इतना ही कहा गया कि हम संतुष्ट नहीं हैं।
मुख्यमंत्री तक लगाई गुहार
मीना नामा ने बताया कि उन्होंने इस भ्रष्टाचार की शिकायत संयुक्त निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं परिक्षेत्र कोटा, जिला कलक्टर कोटा, संभागीय आयुक्त कोटा, मुख्य शासन सचिव जयपुर (रजिस्टर्ड डाक), शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवाएं सचिवालय, विशिष्ट शासन सचिव, जयपुर, चिकित्सा मंत्री, मुख्यमंत्री तक को इसकी शिकायत भेजी गई लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि एक निविदाओं को सभी शर्तों को पूरा किया गया है, किसी भी दस्तावेज की कमी नहीं रही है, समय से पहले सभी नियमों को फोलो करने के बाद भी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने जानबूझ कर इंस्टीट्यूट को बाहर किया और अपने चहेतों को मेन पावर का टेंटर दिया और वर्कआॅडर भी जारी कर दिया।
100 में से 100 अंक फिर भी किया बाहर
नामा ने बताया कि निविदा शर्तों में ये साफ लिखा गया है कि तकनीकी बिड के लिए संलग्न प्रपत्र के अनुसार शत प्रतिशत अंक प्राप्त होने पर ही तकनीकी बिड में सफल माना जाएगा। कार्तिकेय एज्यूकेशन इस्टीट्यूट द्वारा सभी नियमों को पूरा किया गया। सभी दस्तावेज संलग्न किए गए और उसके बाद चिकित्सा विभाग की ओर से ही उन सभी दस्तावेजों जांच कर पूर्ण माना गया और 100 में से 100 नम्बर दिए गए। उसके बाद भी निविदा से बाहर कर दिया गया, जो नियम व कानून का उलंघन हैं। हमारी मांग है कि इस टेंडर को निरस्त किया जाए और नए सिरे से टेंडर प्रकिया अपनाई जाए, जिसमें पूर्ण पारदर्शिता अपनाई जाए।