नई दिल्ली। सरकार ने अनुमान लगाया है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अंतर्गत नए और पुराने दोनों ही तरह के रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा इस वित्त वर्ष के अंत तक 90 लाख से 1 करोड़ तक पहुंच सकता है। इसने कर आधार में विस्तार के साथ ही अनुपालन में भी इजाफा किया है।
एक अधिकारी ने बताया कि वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स के अंतर्गत होने वाले काफी सारे रजिस्ट्रेशन तभी खत्म होंगे जब जीएसटी पूरी तरह से लागू हो जाएगा। इसका मतलब यह होगा कि पुराने रजिस्ट्रेशन की कुल संख्या 86 लाख से गिरकर 70 लाख तक पहुंच सकती है।
हालांकि टैक्स नेट से बाहर रख दिए जाने वाले व्यवसाय और टैक्सटाइल जैसे पूरे के पूरे सेक्टर को जोड़ दिया जाए तो रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा एक करोड़ या 10 मिलियन तक पहुंच सकता है।
सूत्र ने बताया कि पुराने रजिस्ट्रेशन के मुकाबले जो कि नई कर व्यवस्था में माइग्रेट हो चुके हैं करदाताओं की संख्या में 28 फीसद (अगर रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा 90 लाख तक पहुंचता है तो) और 40 फीसद (अगर रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा 1 करोड़ तक पहुंचता है तो) का इजाफा हो सकता है।
इसलिए टैक्स पेयर की संख्या में वृद्धि की संख्या व्यवसायों की संख्या के आधार पर की जाती है। बीते शनिवार को नए रजिस्ट्रेशन कराने वालों की संख्या का आंकड़ा 10 लाख के स्तर को पार कर गया, जबकि 2 लाख नए रजिस्ट्रेशन अभी पेंडिंग हैं।