मुंबई। फिच समूह की कंपनी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) ने 2020-21 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के लिए अपने अनुमान को और घटाकर 1.9 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले साल 1991-92 में भारत की जीडीपी में 1.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी।
सोमवार को जारी एक नोट में एजेंसी ने 30 मार्च को घोषित 3.6 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर के अपने अनुमान में बदलाव करते हुए 1.9 प्रतिशत कर दिया। एजेंसी के मुख्य अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, यह अनुमान इस धारणा पर आधारित है कि आंशिक लॉकडाउन मध्य मई तक जारी रहेगा। कोविड-19 के कारण पूरा लॉकडाउन 3 मई को समाप्त होना तय है। हालांकि, एक्सपर्ट इसे कुछ और समय के लिए हॉटस्पॉट में जारी रखना चाहते हैं।
1951-52 के बाद हो सकती है बड़ी गिरावट
एजेंसी के अनुमान से पता चलता है कि सकल घरेलू उत्पाद साल 2021 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर, 2020) से साल 2020 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च, 2020) के स्तर पर वापस आ सकती है, अगर साल 2021 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान सामान्य आर्थिक गतिविधियों की बहाली और साल 2021 की तीसरी के दौरान त्योहारी सीजन शुरू हो जाता है।
यदि लॉकडाउन मध्य मई से आगे जारी रहता है और क्रमिक वसूली केवल जून 2020 से ही शुरू होती है, तो जीडीपी की वृद्धि नकारात्मक 2.1 प्रतिशत तक फिसल सकती है, जो पिछले 41 वर्षों में सबसे कम होगी और वित्त वर्ष 1951-52 के बाद से इतनी बड़ी गिरावट का छठवां मौका होगा। एजेंसी का अनुमान आईएमएफ (1.9 फीसदी) के बराबर और विश्व बैंक (1.5 से 2.8 फीसदी) के करीब है, लेकिन एडीबी (4 फीसदी) से कम है।
रिटेल मुद्रास्फीति 3.6 प्रतिशत रह सकती है
वित्त वर्ष 21 के लिए इंडिया रेटिंग का खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान 3.6 प्रतिशत है। खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2019 में आरबीआई के ऊपरी सीमा 6 प्रतिशत को पार कर जनवरी 2020 में सबसे ऊपर था और मार्च 2020 में सब्जियों, फलों और पेट्रोलियम उत्पादों की घटती कीमतों के कारण यह 5.9 प्रतिशत पर आ गया था।
राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है
राजकोषीय मोर्चे पर, लॉकडाउन, मंदी, कर और गैर-कर राजस्व में गिरावट के कारण, राजकोषीय प्रोत्साहन प्रदान करने की आवश्यकता जैसे फैक्टर्स केंद्र और राज्य सरकारों दोनों का राजकोषीय अंकगणित बिगाड़ कर रख देंगे। बिना किसी महत्वपूर्ण राजकोषीय प्रोत्साहन के भी एजेंसी को उम्मीद है कि केंद्र का राजकोषीय घाटा 3.5 प्रतिशत के बजट अनुमान के मुकाबले वित्त वर्ष 21 में जीडीपी के 4.4 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा।