नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया की ओर से यस बैंक के प्रशासक बनाए गए प्रशांत कुमार ने ग्राहकों को भरोसा दिलाया है कि बैंक की सभी सेवाएं शुक्रवार तक बहाल कराने पर काम चल रहा है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि यस बैंक का एसबीआई में विलय नहीं किया जाएगा, बल्कि उसे पूंजी के जरिये मदद उपलब्ध कराई जाएगी।
प्रशांत कुमार ने कहा, मेरा विचार है कि हमारे लिए पहली प्राथमिकता पर ग्राहक हैं और हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द उनके लिए कारोबार की सभी सेवाओं को बहाल किया जाए। उन्होंने कहा कि पिछले शनिवार से ही अन्य बैंकों के एटीएम पर ग्राहकों को निकासी सुविधा मिल रही है।
हमारी शाखाओं में भी कर्मचारी ग्राहकों तक पहुंच बना रहे हैं और उनकी मुश्किलों का समाधान कर रहे हैं। इस परिस्थिति में भी ग्राहकों के संयम के लिए हम उन्हें धन्यवाद देते हैं। मुझे खुशी है कि ग्राहकों का यस बैंक पर विश्वास बना हुआ है।
यस बैंक के विलय के सवाल पर प्रशांत कुमार ने कहा कि यह संभव नहीं है। जमाकर्ताओं का पूरा धन बैंक में सुरक्षित है और उम्मीद की जा रही है कि आरबीआई के 3 अप्रैल तक लगाए गए प्रतिबंध की अवधि से पहले ही स्थितियां सामान्य हो जाएंगी।
14 मार्च तक बैंक बताएगा रिजल्ट
कुमार ने कहा कि आरबीआई के एक्शन लेने से पहले ही बैंक बोर्ड ने 2019-20 की तीसरी तिमाही का रिजल्ट घोषित करने की तैयारी कर ली थी। 14 मार्च या उससे पहले ही रिजल्ट घोषित कर दिया जाएगा। इसमें 31 दिसंबर, 2019 को समाप्त हो रही तिमाही के साथ चालू वित्त वर्ष के शुरुआती नौ महीनों का लेखा-जोखा भी सामने रखा जाएगा।
निवेशकों के पास 93 हजार करोड़ के एटी-1 बॉन्ड
निवेशकों के भारतीय बैंकों में करीब 93 हजार करोड़ रुपये के एटी-1 बॉन्ड जमा हैं। घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा ने सोमवार को बताया कि यस बैंक संकट के उजागर होने के बाद इन बॉन्ड की साख पर असर होगा जिससे जोखिम बढ़ सकता है।
यह रिपोर्ट इंडसइंड बैंक के उस फैसले के बाद आई है जिसमें बैंक ने एटी-1 बॉन्ड जारी करने से इनकार कर दिया था। इससे पहले आरबीआई ने बैंकिंग नियमन कानून की धारा 45 का इस्तेमाल करते हुए बैंक के अतिरिक्त टियर-1 (एटी-1) बॉन्ड को बट्टे खाते में डालने का प्रस्ताव किया है।
यस बैंक के अधिकांश एटी-1 बॉन्ड म्यूचुअल बॉन्ड और बैंकों की ट्रेजरी के पास हैं। अभी बैंकों में कुल 93,669 करोड़ के बकाया एटी-1 बॉन्ड हैं, जिसमें यस बैंक को छोड़ दिया जाए तो 84,574 करोड़ रुपये आएगा। इसमें से निजी बैंकों में 39,315 करोड़ हैं। सबसे ज्यादा एसबीआई के पास 27,432 करोड़ के बॉन्ड हैं, जबकि आईसीआईसीआई बैंक के पास 10,120 करोड़ के बॉन्ड बकाया हैं।