मुद्दों की रिपोर्ट बनाकर जीएसटी काउंसिल के सामने रखेंगे, मंत्री मेघवाल बोले

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कोटा विश्वविद्यालय में जीएसटी सवांद कार्यक्रम के दौरान व्यापारियों की समस्याएं सुनते केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल।

 – दिनेश माहेश्वरी

कोटा। केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने शनिवार को व्यापारियों और अधिकारियों को कहा हम मुद्दों की रिपोर्ट बनाकर जीएसटी काउंसिल के सामने रखेंगे, ताकि उन पर काउंसिल पुनर्विचार करें।

इससे पहले उन्होंने कोटा विश्वविद्यालय के सरस्वती भवन स्थित सभागार में आयोजित जीएसटी पर संवाद कार्यक्रम में व्यापारियों और अधिकारियों के साथ जीएसटी के लागू होने के बाद आ रही व्यावहारिक समस्याओं को लेकर फीडबैक लिया। 

केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री  ने कहा कि केन्द्र सरकार ने एक देश एक टैक्स की नीयत से गुडस एण्ड सर्विस टैक्स लागू किया है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में लागू की गई यह पहली व्यवस्था है, जो कि पूरे देश में एक साथ लागू हुई है।  मेघवाल ने कहा, आजादी के बाद का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार लागू हुआ है।

व्यापारी का संपर्क अधिकारियों और कार्मिकों से होगा ही नहीं। वे 95 फीसदी व्यापार जीएसटी नेटवर्क से ही करेंगे। इसके जवाब में व्यापारियों ने कहा, जीएसटी में कई विसंगतियां है।

जो अव्यावहारिक है, उस कारण वे व्यापार नहीं कर पा रहे हैं। पहले उन्हें दूर करो। इस मौके पर पशु आहार खल, कोटा स्टोन, कोचिंग, रीयल स्टेट और ल्यूब्रिकेंट के मुद्दों पर चर्चा की।

उसकी निरंतर समीक्षा की जा रही है। इस कार्य में देश में 180 आईएएस और 40 केन्द्रीय मंत्री लगे हुए हैं। वे हर सेक्टर से सुझाव ले रहे हैं। बैठक में जीएसटी विभाग के आयुक्त सीके जैन,  सीजीएसटी कोटा के उपायुक्त नरेश बुन्देल और उपायुक्त एनके गुप्ता उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में अध्यक्षता कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने की। 

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किसने क्या कहा

खुला बेचेंगे तो एक्ट का उल्लंघन होगा
हाड़ौती व्यापार एवं उद्योग महासंघ के अध्यक्ष जितेन्द्र कुमार जैन ने कहा कि जीएसटी के पहले से पैकेजिंग एक्ट लागू है। एक तरफ जीएसटी में खुली सामग्री को टैक्स फ्री और पैक्ड या ब्रांड पर 5 फीसदी कर है। एेसे में खुली सामग्री बेचने पर पैकेजिंग एक्ट का उल्लंघन होगा। इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा।

स्टोन पर 28 फीसदी क्यूं
स्टोन व्यवसायी अचल पोद्दार का कहना है कि कोटा स्टोन पॉलिश नहीं होता है, यह रफ ही बिकता हैं। इसकी केवल स्प्रिलिट अच्छी होती है, एेसे में यह पॉलिश हुआ लगता हैं। इस पर 28 फीसदी टैक्स है। एेसा क्यूं।

कर के लिए समय दीजिए
राजस्थान कपड़ा व्यापार संघ प्रदेशाध्यक्ष गिरिराज न्याति का कहना है कि साड़ी बनते समय 27 प्रोसेसिंग से गुजरती है। सभी जगह टैक्स प्रक्रिया पूरी करना संभव नहीं। हम इसके लिए तैयार नहीं हैं। हमें समय दीजिए। 
समायोजित करें।

दुबारा जमा क्यूं कराएं : दीएसएसआईए संस्थापक अध्यक्ष गोविंदराम मित्तल का कहना है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट जो सरकार के पास पहले से जमा है, उसे दुबारा जमा क्यूं कराएं। इसमें लेबर चार्ज, बिल्टी का भाटा ट्रांसपोर्ट, मशीनरी रिपेयरिंग, टैक्सी किराया आदि पर जीएसटी लगकर नहीं मिले। पहले उनका कर जमा कराएंगे। फिर क्लेम कर लेंगे।

घी पर मंडी टैक्स हटाया जाए
कोटा फ्रेश डेयरी से संदीप साबू का कहना है कि बाजार में खुला पनीर, चीज, श्रीखण्ड मिल रहा है। उस पर जीएसटी नहीं है, लेकिन हम पैकेज्ड और ब्रॉडेंड बेच रहे हैं। जिस पर पांच फीसदी जीएसटी है। कम्पीटिशन कैसे करें। राजस्थान ही एेसा प्रदेश है जहां घी पर मंडी टैक्स वसूला जा रहा है। इसे हटाया जाए।

कृषि जिंसों को टैक्स फ्री रखा जाए
कोटा ग्रेन एण्ड मर्चेन्ट्स एसोसिएशन अध्यक्ष अविनाश राठी का कहना है कि कृषि जिंसों पर टैक्स लगाने की योजना चल रही है, लेकिन इसे फ्री रखा जाए। नेटवर्र्किंग सिस्टम में खामी के चलते जीएसटी व इनकम टैक्स फाइल के लिए अलग से सेटेलाइट डवलप की जाए।

चॉकलेट पर भी जीएसटी
जनरल मर्चेन्ट्स एसोसिएशन महासचिव रमेश आहूजा का कहना है कि बच्चों के खाने की चॉकलेट पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया है जबकि बड़ों के खाने की काजू कतली पर पांच प्रतिशत जीएसटी, एेसा क्यों। चॉकलेट को 12 से 18 प्रतिशत जीएसटी में शामिल किया जाना चाहिए।

पुराने कार्यों को जीएसटी से मुक्त करें
सांगोद विधायक हीरालाल नागर का कहना है कि कॉन्ट्रेक्टर्स के पुराने कार्य में 18 प्रतिशत जीएसटी लगा दिया। जबकि यह नए कार्यों में शामिल होना चाहिए था, इसे पुराने कार्य में भी शामिल कर दिया। कॉन्ट्रेक्टर्स पर भार पड़ा है। पुराने कार्यों को जीएसटी से मुक्त किया जाए।

ऑयल को कॉम्पजिशन स्कीम में : पेट्रोलियम डीलर व्यवसायी संदीप कोहली का कहना है कि पेट्रोल पम्पों पर बिकने वाले ऑयल को कॉम्पजिशन स्कीम में लागू किया जाए। पहले भी वेट के अंदर डीलरों को बाहर रखा गया था और ज्यादा बेचने वालों के लिए कॉम्पजिशन स्कीम थी।