कोटा। कोटा स्थित जेके लोन अस्पताल दिस्मबर माह में 91 बच्चों की मौत पर सियासत हो रही है, लेकिन जिन परिवारों ने खोया है उनके आंसू पोछने वाला कोई नहीं है। मामला भले ही दिल्ली तक पहुंच गया हो, लेकिन स्थिति ढाक के तीन पात वाली बनी हुई है।
आईसीयू में एक ही बिस्तर पर दो से तीन बीमार बच्चों का होना एक सामान्य सी बात बनी हुई है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक शीर्ष नेता ने दावा किया है कि इन मासूम बच्चों को साफ हवा के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ता है। यही नहीं, बीजेपी नेता का कहना है कि अव्यवस्था के बीच गंभीर बीमारियों से जूझते इन बच्चों की देखभाल के लिए नर्स नहीं, बल्कि उनकी मां खड़ी रहती हैं। हाल ही में कोटा का यह अस्पताल काफी सुर्खियों में रहा है।
अस्पताल के सूत्रों ने पुष्टि की कि यहां आवश्यक और जीवनरक्षक श्रेणियों में आने वाले 60 फीसदी से अधिक उपकरण काम नहीं कर रहे हैं। लापरवाही व उदासीनता की इतनी हद है कि अस्पताल प्रबंधन का कोई भी अधिकारी इस बात पर ध्यान नहीं देता कि कुछ उपकरणों को फिर से ठीक किया जा सकता है।
कुछ धूल फांक रहे उपकरण तो ऐसे भी हैं, जिन्हें महज दो रुपये की कीमत के एक तार के छोटे से टुकड़े की मदद से फिर से चलाया जा सकता है। नतीजतन कई नेबुलाइजर, वॉर्मर और वेंटिलेटर काम नहीं कर रहे हैं। संबंधित अधिकारियों ने मामले की सूचना दी है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। साथ ही अस्पताल में संक्रमण की जांच के लिए एकत्रित 14 नमूनों की परीक्षण रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। ये परीक्षण बैक्टीरिया के प्रसार का आकलन करने में मदद करते हैं।