नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने बिल की कॉपी ही फाड़ दी। इस पर भारी हंगामे के बाद स्पीकर की चेयर पर मौजूद रमा देवी ने उनकी इस हरकत को कार्यवाही से बाहर निकालने का आदेश दिया। ओवैसी ने बिल का तीखा विरोध करते हुए कहा कि हमने जिन्ना की बात को नकारा और मौलाना आजाद की बात के साथ चले, उन्होंने कहा था कि हमारा हिंदुस्तान से 1000 साल का संबंध है। आखिर सरकार को मुस्लिमों से इतनी समस्या क्यों है।
ओवैसी ने बिल की कॉपी फाड़ते हुए कहा, ‘यह और विभाजन होने जा रहा है। यह बिल भारत के संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। यह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करने वाला विधेयक है। मैं इस बिल को फाड़ता हूं, जो देश का विभाजन करने का प्रयास करता है।’ ओवैसी ने कहा, ‘मैं इस बिल के खिलाफ खड़ा हूं। हमने जब यह संविधान बनाया था, तब से अब तक कितनी गिरावट हो चुकी है।’
ओवैसी ने कहा कि राजेंद्र प्रसाद ने संविधान की प्रस्तावना को भगवान या खुदा का नाम लिखने का विरोध किया था।’ ओवैसी ने कहा कि आखिर हमारा गुनाह क्या यही है कि हम मुसलमान हैं। आप मुस्लिमों को स्टेटलेस बना रहे हैं। यह एक और विभाजन होने जा रहा है। बिल का तीखा विरोध करते हुए ओवैसी ने कहा कि यह हिटलर के कानून से भी बुरा है।
राज्यसभा से भी बिल को पारित कराने की स्थिति में सरकार?
लोकसभा में 22 सांसदों वाली वाईएसआर कांग्रेस, 16 सदस्यों वाली जेडीयू और 12 सांसदों वाली बीजेडी के समर्थन से साफ है कि सरकार बिल को ध्वनिमत से पारित करा सकती है। यही नहीं इन दलों के समर्थन से साफ है कि राज्यसभा में बहुमत न रखने वाला एनडीए तीन तलाक और आर्टिकल 370 की तरह ही इस बिल को भी उच्च सदन से पारित करा सकता है।