नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर लोकसभा में जारी बहस में दिलचस्प नजारा देखने को मिला है। एक तरफ शिवसेना ने इस बिल को लेकर सवाल उठाए हैं, जबकि अकसर प्रखर राष्ट्रवाद से जुड़े मुद्दों पर सवाल उठाने वाली जेडीयू समेत कई दलों ने खुलकर समर्थन किया है।
जेडीयू के अलावा बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस और एलजेपी ने भी बिल का समर्थन किया है। पिछले महीने ही बीजेपी से अलग होकर महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी संग सरकार बनाने वाली शिवसेना का यह रुख उसकी विचारधारा से उलट लगता है।
जेडीयू के नेता राजीव रंजन सिंह ने कहा कि यह बिल सेकुलरिज्म की भावना को मजबूत करने वाला है। उन्होंने कहा कि इसमें उन शरणार्थियों को नरक से निकालने वाला है, जो अपना घर और सम्मान छोड़कर आए हैं।
जेडीयू नेता ने कहा कि यह बिल कहीं से भी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को चुनौती नहीं देता है। यही नहीं बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस ने भी इस बिल के समर्थन की बात कही है। हालांकि बीजेडी ने इस बिल में श्रीलंका के शरणार्थियों को भी शामिल करने का भी सुझाव दिया।
वाईएसआर कांग्रेस, बीजेडी समेत कई दलों ने किया समर्थन
लोकसभा में 22 सांसदों वाली वाईएसआर कांग्रेस, 16 सदस्यों वाली जेडीयू और 12 सांसदों वाली बीजेडी के समर्थन से साफ है कि सरकार बिल को ध्वनिमत से पारित करा सकती है। यही नहीं इन दलों के समर्थन से साफ है कि राज्यसभा में बहुमत न रखने वाला एनडीए तीन तलाक और आर्टिकल 370 की तरह ही इस बिल को भी उच्च सदन से पारित करा सकता है।
एलजेपी के चिराग पासवान ने कहा कि हमारी पार्टी इस बिल का समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि इससे भारत के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि इस बिल का संबंध अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों से है। उन्होंने कहा कि मैं अपने होम मिनिस्टर को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने हमारी चिंताओं को महत्व दिया और सुझावों को इस बिल में शामिल किय
अधीर रंजन बोले,हम खिलाफ
कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि भारत सदियों से जियो और जीने दो की बात करता रहा है। उन्होंने कहा कि बाहर आप यह फैलाएंगे कि कांग्रेस ने हिंदुओं के सपॉर्ट वाले बिल का विरोध किया है। लेकिन हम किसी पीड़ित को शरण देने के खिलाफ नहीं है, लेकिन इसका आधार धार्मिक होने के चलते यह संविधान की भावना के खिलाफ है।
इसलिए इस बिल में सुधार किया जाना चाहिए। आपने श्रीलंका, चीन और अन्य किसी देश के लोगों को इस बिल में शामिल नहीं किया। आपने सिर्फ उन देशों को ही शामिल किया, जो मुस्लिम बहुल हैं। रवींद्रनाथ टैगोर का जिक्र करते हुए चौधरी ने कहा कि यह देश मानवता का महासागर है।
शिवसेना ने कहा, तो बहुत बढ़ जाएगी देश की आबादी
शिवसेना का पक्ष रखते हुए सांसद विनायक राउत ने कहा, ‘इन तीन देशों से अब तक कितने लोग आए हैं और कितने लोगों की पहचान की गई है। यदि सारे लोगों को नागरिकता दी गई तो देश की आबादी बहुत बढ़ जाएगी। इन लोगों के आने से भारत पर कितना बोझ बढ़ेगा, इसका जवाब भी होम मिनिस्टर को देना चाहिए।’
‘श्रीलंका के शरणार्थियों को भी मिलनी चाहिए जगह’
पाकिस्तान और बांग्लादेश में भारत विभाजन के चलते लोगों के उत्पीड़न की बात समझ में आती है, लेकिन अफगानिस्तान से इसका विषय है यह बात समझ में नहीं आई। शिवसेना ने कहा कि इस विधेयक में श्रीलंका को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि इस बिल से अफगानिस्तान को हटाकर श्रीलंका को शामिल किया जाए तो बेहतर होगा।
BSP ने कहा, मुस्लिमों को भी मिले बिल में जगह
मुस्लिमों को भी इसमें शामिल किया जाए। बांग्लादेश की लड़ाई के वक्त या फिर उससे पहले या बाद में भारत आए मुस्लिमों को भी नागरिकता दी जानी चाहिए। उन्हें बांग्लादेश बताकर नागरिकता से वंचित किया जा रहा है। वे भी किसी तरह की खुशी से भारत नहीं आ रहे हैं। यदि उनके साथ अच्छा बर्ताव होता तो वह अपना देश छोड़कर नहीं आते। अफजाल अंसारी ने कहा कि शरणार्थी का कोई जाति, धर्म नहीं होता।
एनसीपी ने भी किया बिल का विरोध
एनसीपी की नेता सुप्रिया सुले ने भी इसका विरोध करते हुए कहा कि हम इस बिल का विरोध करते हैं। किसी भी समुदाय को शरणार्थी के दायरे से बाहर रहना ठीक नहीं है। यह बिल संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का भी उल्लंघन करता है।