नई दिल्ली। इस साल चावल का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 12 फीसदी कम रहने की संभावना है। मौसम का अनुमान लगाने वाली संस्था स्काईमेट का दावा है कि चावल का उत्पादन 9 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। यह उत्पादन सरकार के अनुमान से 10 फीसदी कम है।
अगर स्काईमेट का अंदाजा सही रहा तो यह पांच साल में पहली बार होगा जब चावल का उत्पादन गिरेगा। इतना ही नहीं यह 9 साल में सबसे कम होगा। इसके साथ ही चावल के दाम बढ़ने की भी प्रबल संभावना रहेगी।
दालों का उत्पादन भी रह सकता है कम
हालांकि स्काईमेट ने पहली बार ऐसा अनुमान जारी किया है, लेकिन इसने इस चिंता को बढ़ा दिया है कि मौजूदा वित्त वर्ष के दूसरी छमाही में कृषि सेक्टर का प्रदर्शन और खराब हो सकता है, जिससे जीडीपी में गिरावट हो सकती है। इस साल दालों का उत्पादन भी सरकार के 82.3 लाख टन के अनुमान से तकरीबन 6 लाख टन कम रह सकता है। राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और कर्नाटक में बड़ी मात्रा में फसलों का नुकसान प्रमुख कारण है।
बढ़ सकते हैं चावलों के दाम
इतना ही नहीं मानसून देर से आने पर और इसकी वजह से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने से रबी की आने वाली फसल में पिछले साल के मुकाबले दालों का उत्पादन गिरने की उम्मीद है। सर्दियों में दालों का बोया जाना 20 फीसदी कम हो गया है। अगली रबी की फसल की गणना वित्त वर्ष 2021 की जीडीपी में की जाएगी।
स्काईमेट का कहना है कि अगर इस साल खरीफ की फसल में चावल का उत्पादन कम रहेगा तो इससे चावल के दाम बढ़ सकते हैं। हालांकि इससे फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के ऊपर चावल खरीदने का दबाव कम हो जाएगा। सरकार भी अपना अतिरिक्त स्टॉक बाजार में उतार सकेगी।