देव, शास्त्र और गुरु के अभाव में ज्ञान का मूल्य नहीं: आर्यिका सौम्यनन्दिनी

0
919

कोटा। श्री दिगम्बर जैन मंदिर महावीर नगर विस्तार योजना पर बुधवार को आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी ने प्रवचन करते हुए देव, शास्त्र और गुरु के महत्व को प्रतिपादित किया। उन्होंने कहा कि सौधर्म इंद्र के पास अतुल ज्ञान भंडार होता है। किंतु ज्ञान में सुगंधि चरित्र के कारण आती है। फूल सुंदर है तोड़ने की इच्छा होती है किंतु उसमें सुगंधि नहीं क्योंकि वह कागज का फूल है। देव, शास्त्र और गुरु के अभाव में ज्ञान का मूल्य नहीं है।

ज्ञान औषधि के रूप में कार्य करता है। भगवान पूजा से प्रसन्न नहीं होते, प्रभावित नहीं होते। वे उनकी आज्ञा का पालन करते हैं, तब प्रसन्न होते हैं। आदेश का पालन आज्ञा सम्यक् तत्व है। गुरु भगवान से कम नहीं है। क्योंकि भगवान की पहचान गुरु ने कराई है। संस्कार गुरुओं से ही डलते हैं और पल्लवित होते हैं।

हृदय में आज्ञा जगाने वाले गुरु ही होते हैं। गुरु को यदि प्रकाश मिला है तो गुरु के द्वारा मिला। आत्मा पर दृष्टि रखने के लिए बहुत साधना की आवश्यकता होती है। जो गुणी होता है वह देव शास्त्र गुरु के प्रति समर्पण का भाव रखता है।