25 हजार करोड़ के को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में शरद पवार के खिलाफ FIR

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मुंबई। नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के जेल जाने के बयान के बाद पार्टी के कार्यकर्ता भड़क उठे हैं और उन्‍होंने प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया है। एनसीपी कार्यकर्ताओं को हटाने के लिए मुंबई पुलिस को काफी मशक्‍कत करनी पड़ी है। इससे पहले शरद पवार ने कहा था कि उन्हें जेल भेजे जाने की तैयारी की जा रही है।

महाराष्ट्र के कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार केस दर्ज किया है। इस पर शरद पवार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जेल जाने में उन्हें कोई समस्या नहीं है। कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में दर्ज हुए मामले का जिक्र करते हुए एनसीपी चीफ पवार ने कहा, ‘मुझे कोई समस्या नहीं होगी अगर मुझे जेल जाना पड़ता है। इससे मुझे खुशी होगी क्योंकि मेरा पहले कभी जेल जाने का अनुभव नहीं रहा है। अगर कोई मुझे जेल भिजवाने की तैयारी कर रहा है तो मैं इसका स्वागत करता हूं।’

एनसीपी के कार्यकर्ता भड़के
शरद पवार के इसी बयान के बाद एनसीपी के कार्यकर्ता भड़क उठे और उन्‍होंने ईडी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन और नारेबाजी की। एनसीपी कार्यकर्ताओं ने बीजेपी के खिलाफ भी नारे लगाए। मुंबई पुलिस ने बलपूर्वक इन कार्यकर्ताओं को ईडी ऑफिस के गेट से हटाया और उन्‍हें पुलिस वैन में भरकर ले गई। करीब 25 हजार करोड़ के कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में कई बैंक अधिकारी भी कठघरे में हैं।

ईडी ने मंगलवार को शरद पवार समेत 70 अन्य लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य मामलों में केस दर्ज किया है। इस घोटाले में मुंबई पुलिस की ओर से पिछले महीने एक एफआईआर दर्ज की गई थी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में कोर्ट में पेश किए गए तथ्यों के आधार पर शरद पवार और अन्य आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। साल 2007 से 2011 के बीच हुए इस घोटाले में महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों के बैंक अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया है।

संचालक मंडल के गलत फैसले से फर्जीवाड़ा!
इस मामले में आरोप है कि राज्य सहकारी बैंक में सैकड़ों करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। यह भी आरोप है कि यह सारा फर्जीवाड़ा संचालक मंडल द्वारा लिए गए गलत फैसलों की वजह से संभव हो पाया है। राज्य सहकारी बैंक से शक्कर कारखानों और कपड़ा मिलों को बेहिसाब कर्ज बांटे गए। इसके अलावा कर्ज वसूली के लिए जिन कर्जदारों की संपत्ति बेची गई, उसमें भी जान- बूझकर बैंक को नुकसान पहुंचाया गया।