मुंबई। निजी क्षेत्र के आईडीएफसी बैंक और श्रीराम समूह की होल्डिंग कंपनी श्रीराम कैपिटल ने आपस में विलय की संभावनाएं तलाशने को लेकर शनिवार को एक सहमति बनाई। इनका विलय होने पर देश में खुदरा कर्ज कारोबार करने वाला एक बड़ा बैंक बनेगा और उसकी वैल्यू 65,000 करोड़ रुपए से अधिक होगी।
श्रीराम कैपिटल के चेयरमैन अजय पीरामल ने दोनों कंपनियों के निदेशक मंडलों की बैठकों के बाद कहा, ‘दोनों कंपनियों के प्रबंधन को विलय की संभावनाएं तलाशने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है। इसके बाद शेयरों की अदला-बदली का अनुपात तय किया जाएगा।’
पीरामल ने बताया कि विलय के बाद श्रीराम ट्रांसपोर्ट कैपिटल एक अलग इकाई बनी रहेगी। इसको छोड़कर, श्रीराम सिटी यूनियन सहित श्रीराम समूह की अन्य सभी कारोबारी कंपनियां इस बैंक में मिला दी जाएंगी। विलय के बाद तैयार होने वाली इकाई का खुदरा कर्ज कारोबार 20,000 करोड़ रुपए का होगा।
आईडीएफसी बैंक के राजीव लाल ने कहा कि विलय योजना को 12 महीने में पूरा करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि शेयरों की अदला-बदली का अनुपात जांच-परख की 90 दिन की अवधि के बाद तय किया जाएगा। कंपनियों का कहना है कि इस विलय से आईडीएफसी बैंक को जहां एक तरफ अपना ब्रांच नेटवर्क बढ़ाने में मदद मिलेगी और वह 1000 ब्रान्चों तक पहुंच जाएगा वहीं श्रीराम समूह को भी थोक का कारोबार मिलेगा।
श्रीराम कैपिटल की प्रमुख कंपनियों में सूचीबद्ध कंपनी श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस और श्रीराम सिटी यूनियन फाइनेंस प्रमुख हैं। इसके अलावा गैर-सूचीबद्ध जीवन बीमा और साधारण बीमा कारोबार भी समूह का हिस्सा है। ये सभी आईडीएफसी में मिलाए जा सकते हैं। आईटीएफसी की आईडीएफसी बैंक में 52.86 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
आईडीएफसी बैंक की शुरुआत 2015 में हुई। आईडीएफसी को बैंक लाइसेंस मिलने के बाद इसने अपनी मूल कंपनी आईडीएफसी लिमिटेड इन्फ्रा की संपत्तियों को शामिल कर लिया। श्रीराम ट्रांसपोर्ट और श्रीराम सिटी यूनियन प्रत्येक में उसकी 10-10 प्रतिशत हिस्सेदारी है।