कोटा। महावीर नगर विस्तार योजना स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी संघ के पावन वर्षायोग के अवसर पर माताजी ने प्रवचन करते हुए कहा कि चातुर्मास धन नहीं, धर्म की कमाई का मौसम है। यह चार मास जीवन में धर्म की वर्षा का समय है। मनुष्य को इस धर्म वर्षा में भीगने के लिए संतों के सानिध्य में जाकर जीवन उपयोगी बातों को आत्मसात करना चाहिए।
चातुर्मास में संतों की शरण में रहकर तप, साधना, संयम और अनुशासन की सीख ले ली तो जीवन के सार्थक और सफलता के पथ पर अग्रसर होने में देर नहीं लगेगी। चातुर्मास में महावीरनगर विस्तार दिगम्बर जैन समाज के लोग नियमित धर्म नियम का पालन करते हुए पूजन विधान एवं प्रवचन में भाग ले रहे हैं।
प्रवचन में सौम्यनन्दिनी माताजी ने कहा कि मानव जीवन दुर्लभ है, इसे सद्कार्यों से सभी जीवों के कल्याण में लगाओ। तभी हमारा कल्याण संभव है। धर्म को मित्र बनाओ। संसारिक मित्र कुछ समय तक ही साथ देते हैं, लेकिन धर्मरूपी मित्र हर समय और अगले भव तक हर कदम पर साथ देते हैं।