नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों में पूर्वोत्तर राज्यों ने जीएसटी संग्रह में तीस फीसद से अधिक की वृद्धि दर्ज की है। यह वृद्धि मैन्यूफैक्चरिंग में अग्रणी बड़े राज्यों से काफी ज्यादा है। पूर्वोत्तर के सात राज्यों का जीएसटी संग्रह नौ फीसद के राष्ट्रीय औसत से तीन गुना से अधिक रहा है।
पूर्वोत्तर राज्यों में नगालैंड ने सबसे अधिक 39 फीसद की वृद्धि दर्ज की है और अप्रैल-जुलाई के दौरान कुल संग्रह 393 करोड़ रुपये रहा। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश के जीएसटी संग्रह में 35 फीसद बढ़ोतरी हुई और यह 514 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
32 फीसद बढ़ोतरी के साथ सिक्किम का संग्रह 370 करोड़ रुपये हो गया। मेघालय ने 30 फीसद बढ़ोतरी के साथ संग्रह 680 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। पूर्वोत्तर के सबसे पिछड़े राज्यों का भी प्रदर्शन सुधरा मिजोरम का जीएसटी संग्रह 27 फीसद वृद्धि के साथ 350 करोड़ रुपये रहा।
इस मामले में सबसे पिछड़े राज्य
त्रिपुरा और मणिपुर ने भी 16 फीसद के साथ महाराष्ट्र, हरियाणा और गुजरात जैसे बड़े औद्योगिक राज्यों से दोगुनी बढ़ोतरी दर्ज की है। सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में से दिल्ली के जीएसटी संग्रह में दो, लक्षद्वीप में 17 और पुडुचेरी में आठ फीसद की कमी दर्ज की गई है।
अप्रैल-जुलाई 2019 के दौरान पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 13,000 करोड़ रुपये से घटकर 12,700 करोड़ ही रह गया। बड़े राज्य 11 फीसद तक ही अटके महाराष्ट्र और गुजरात जैसे बड़े राज्यों ने जीएसटी संग्रह में छह फीसद की वृद्धि दर्ज की, जबकि पंजाब ने सात और हरियाणा ने नौ फीसद की वृद्धि दर्ज की। तमिलनाडु और कर्नाटक ने क्रमशः 10 और 11 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की। जीएसटी संग्रह में बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश ने दहाई के आंकड़ों में वृद्धि दर्ज कर औद्योगिक राज्यों से बेहतर प्रदर्शन किया है।