17वीं लोकसभा के पहले सत्र का समापन, 1952 के बाद सबसे सफल कार्यवाही

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नई दिल्ली।जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को पारित किए जाने के साथ ही 17वीं लोकसभा के पहले सत्र का मंगलवार को समापन हो गया। हालांकि, इसका समापन 7 अगस्त को होना था। सत्र की शुरुआत 17 जून को हुई थी और सत्र की अवधि 10 दिन के लिए बढ़ा दी गई थी। स्पीकर ने सत्र के समापन से पहले सदन को संबोधित किया और कहा कि यह सत्र बेहद सफल रहा।

ओम बिरला ने कहा, ’17वीं लोकसभा के पहले सत्र का आज अवसान हो रहा है। 1952 से अब तक के इतिहास में इस सत्र में उल्लेखनीय कामकाज हुआ।’ उन्होंने कहा कि 1952 के बाद पहली बार है जब सदन का व्यवधान शून्य रहा और इसमें सदन के सदस्यों की अहम भूमिका है। इस दौरान 125 फीसदी कामकाज हुआ। सत्र में 37 बैठकें हुईं और 280 घंटे कार्यवाही चली। बिरला ने बताया कि 183 तारांकित प्रश्न पूछे गए, 1086 लोकहित से जुड़े मुद्दे शून्यकाल के दौरान उठाए गए।

कुल 36 विधेयक पास, एक हजार से ज्यादा मुद्दे उठे
ओम बिरला ने कहा कि इस सत्र में अब तक सबसे ज्यादा 36 विधेयक पारित किए गए, एक हजार से ज्यादा लोकहित के मुद्दे शून्यकाल में उठाए गए। इस सत्र में केंद्र की एनडीए सरकार मुस्लिम महिलाओं के अधिकार वाले तीन तलाक विधेयक को पारित कराने में सफल रही। उल्लेखनीय है कि पिछले कार्यकाल में राज्यसभा में यह बिल गिर गया था, जिसके बाद इस सत्र में इसे फिर से पेश किया गया था।

इसके अतिरिक्त जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 के कई प्रावधानों को हटाने का फैसला भी इसी सत्र में लिया गया और सरकार जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित कराने में भी सफल रही। इसके अतिरिक्त सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक जैसे महत्वपूर्ण विधेयकों को भी इस सत्र में पारित करा लिया गया।

नए सदस्यों को मौका
इस दौरान ज्यादा से ज्यादा नए सदस्यों को बोलने दिया गया। इस सत्र में शून्यकाल में 265 नए सदस्यों में से 229 को अपनी बात कहने का मौका मिला। 46 नई महिला सांसदों में 42 को शून्यकाल के दौरान बोलने का मौका मिला। सत्र के आखिरी दिन लद्दाख से नवनिर्वाचित सांसद जामयांग सेरिंग अपने भाषण के कारण चर्चा का विषय बन गए। उन्होंने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का समर्थन करते हुए कांग्रेस पर कई हमले किए।