जयपुर। नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में शुक्रवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में प्री-बजट चर्चा के लिए आयोजित राज्यों के वित्त मंत्रियो के सम्मलेन में राजस्थान का पक्ष ज़ोरदार ढंग से रखते हुए मांग रखी कि राजस्थान की पेयजल और सिंचाई परियोजनाओं के लिए प्रदेश को विशेष श्रेणी में रखते हुए केंद्रीय मदद दी जावें।
उन्होंने बताया कि पूरे देश में राजस्थान एक मात्र राज्य है जिसकी एक भी पेयजल और सिंचाई परियोजना को केंद्र की स्वीकृति नही मिली हैं, जब कि प्रदेश की आठ बड़ी परियोजनाएं केंद्रीय जल बोर्ड के पास मंजूरी के लिए लंबित पड़ी हुई हैं। उन्होंने 36 हज़ार करोड़ रुपये की पूर्व राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करते हुए इसे शीघ्र स्वीकृति देने की मांग की।
धारीवाल ने बताया कि राज्य में सतही एवं भूमिगत जल की कमी है और प्रदेश को प्रायः सूखा व अकाल जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता हैं। उन्होंने मांग रखी कि राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एसडीआरएफ नियमों में शिथिलता प्रदान की जावें। उन्होंने प्रदेश की महत्वपूर्ण लंबित रेल परियोजनाओं पर भी ध्यान आकृष्ट किया और कहा कि विशेष रेल परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण की लागत राज्य द्वारा तथा समस्त परियोजना लागत केन्द्र द्वारा वहन की जानी चाहिए।
इसी आधार पर रतलाम- डूंगरपुर वाया बांसवाड़ा रेल लाइन परियोजना का कार्य शीघ्र शुरू किया जाए। उन्होंने धौलपुर-सरमथुरा के बीच गंगापुर सिटी तक विस्तार के साथ ब्रॉडगेज लाइन तथा अजमेर से सवाई माधोपुर वाया टोंक रेल लाइन परियोजना का निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ करने का अनुरोध भी किया।
धारीवाल ने केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं में केन्द्र से उसके हिस्से की राशि समय पर उपलब्ध कराने की अपेक्षा करते हुए राज्य के वित्तीय प्रबंधन को मजबूत करने के लिए भी केन्द्र से सहयोग मांगा। उन्होंने बताया कि शिक्षा का अधिकार जैसी 18 केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं में विभिन्न प्रक्रियात्मक बाधाओं के कारण केन्द्रीय मंत्रालयों द्वारा केन्द्र के हिस्से की राशि समय पर उपलब्ध नही कराई जा रही है।
समर्थन मूल्य पर कुल उत्पादन की 40 प्रतिशत खरीद हो
उन्होंने अनुरोध किया कि राज्यों की हिस्सा राशि को अलग से रखा जाना चाहिए तथा संघीय ढांचे व राज्यों के आर्थिक ढांचें को सु दृढ करने के लिए इन बाधाओं को दूर किया जाना चाहिए। साथ ही 50:50 प्रतिशत अनुपात वाली योजनाओं में भी केंद्र की हिस्सा राशि बढ़ाई जानी चाहियें। उन्होंने प्रदेश के किसानों के हितों की पुरजोर पैरवी करते हुए दलहन व तिलहन की समर्थन मूल्य पर खरीद कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत के स्थान पर 40 प्रतिशत करने की मांग रखी।
जीएसटी परिषद् की 35 वीं बैठक में लिया भाग
धारीवाल ने नई दिल्ली में आयोजित जीएसटी परिषद् की 35 वीं बैठक में भी भाग लिया और मांग रखी कि केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा पहले की तरह हर माह की पहली तारीख को दिया जाए, ताकि राज्यों का वित्तीय संतुलन नही बिगडें।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने पिछले कुछ सालों में इस व्यवस्था को बदल दिया है, इससे राज्यों को वित्तीय व्यवस्था में परेशानी आ रही है। राज्य को महीने के पहले दिवस पर वेतन एवं पेंशन का भुगतान करना होता है, लेकिन केंद्र से मिलने वाले राज्यांश में देरी के कारण वेतन एवं पेंशन के समय पर भुगतान में कठिनाई होती है।