नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के नाम पर सरकार से इनपुट टैक्स लेने वाली सैकडों फर्जी कंपनियों को सरकार ने चिन्हित किया है। अब इनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है। ये कंपनियां सरकार से फर्जी तरीके से इनपुट क्रेडिट लेने के साथ दूसरी कंपनियों को जीएसटी चोरी में भी मदद करती हैं।
अप्रत्यक्ष कर से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक सरकार की चिंता इस बात को लेकर है कि इनपुट क्रेडिट की देनदारी लगातार बढ़ रही है जबकि उस अनुपात जीएसटी का कलेक्शन नहीं हो रहा है। वहीं जीएसटी रिटर्न के हिसाब से कारोबारी अपना आयकर रिटर्न भी नहीं भर रहे हैं, इसलिए डायरेक्ट टैक्स भी उम्मीद के मुताबिक इजाफा नहीं हो रहा है। इस साल मई में अप्रैल के मुकाबले जीएसटी कलेक्शन में कमी आई है।
फर्जी निर्यात के नाम पर इनपुट क्रेडिट
अप्रत्यक्ष कर विभाग के सूत्रों के मुताबिक कई फर्म फर्जी निर्यात के नाम पर इनपुट क्रेडिट ले रहे हैं। ये कंपनियां कच्चे माल के आयात को काफी अधिक मात्रा में दिखाते हैं। इसके अलावा विदेशी कंपनियों की मिलीभगत से घटिया माल से बने चीजों का निर्यात करते हैं और उसके नाम पर सरकार से भारी मात्रा में इनपुट क्रेडिट वसूल रही है।
ये फर्म या कंपनियां फर्जीवाड़े की इस चेन में कई घरेलू व्यापारियों को भी शामिल करती हैं और उन्हें जीएसटी चोरी में शामिल कर लेती हैं। ऐसे सैकड़ों फर्म की पहचान कर ली गई है और अब उनके खिलाफ गंभीर कार्रवाई होने जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक जीएसटी के नाम पर इनपुट क्लेम करने वाली सैकड़ों कंपनियां ऐसी हैं जो जीएसटी रिटर्न काफी अधिक राशि की दिखाती है जबकि उनका आईटी रिटर्न उसके मुकाबले काफी कम होता है। ऐसे में, सरकार की आय कम खर्च अधिक हो रहा है।
विभाग के सूत्रों के मुताबिक सरकार ऐसी कंपनियों के मालिकों को या इस प्रकार के जीएसटी के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वालों को गिरफ्तार तक कर सकती है। हाल ही में, केंद्र सरकार ने जीसीटी चोरी मामले में गिरफ्तारी को लेकर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
केंद्र की दलील है कि इस मामले में जीएसटी आयुक्त को आरोपी को बिना एफआईआर के गिरफ्तार करने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में केंद्र से सहमति जताई है। सूत्रों के मुताबिक विभाग की तरफ से जीएसटी के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाली कंपनियों व फर्मों को नोटिस जारी कर दिया गया है।