नई तकनीक न सीखने वाले कर्मियों को कंपनियों ने दिखाया बाहर का रास्ता

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नई दिल्ली। कहते हैं जो वक्त के हिसाब से नहीं बदलता है, वक्त उसे ही बदल देता है। आईटी कंपनियों में काम कर रहे पेशेवरों के लिए यह बात सटीक बैठ रही है। नए दौर में अपडेट न होने के खामियाजा ऐसे पेशेवरों को उठाना पड़ा है। हाल में अमेरिका की दिग्गज आईटी कंपनी आईबीएम ने अपने 300 कर्मचारियों को निकाल दिया है।

यही नहीं अमेजन, अलीबाबा जैसी कंपनियों में भी अब नई स्किल के बिना नौकरी संभव नहीं है। जानकारों का कहना है कि अगर आईटी सेक्टर में काम करने वाले लोग नई टेक्नोलॉजी को सीखने में नाकाम रहते हैं तो उन्हें अपनी नौकरी तक गंवानी पड़ सकती है। जानकार कहते हैं कि दूसरे सेक्टरों में भी यही बात लागू हो रही है। हालांकि कंपनियों के लिए यह आसान नहीं होता है कि वह सीधे नौकरी से निकाल दे। इसलिए कंपनियां ट्रेनिंग सेशन भी करवा रही हैं।

मशीन लर्निंग की वजह से आए बदलाव
अमेजन अपना सारा काम मशीन लर्निंग और रोबोटिक ऑटोमेशन पर शिफ्ट कर रही है। भारत में भी बड़ी कंपनियां इस ओर अग्रसर हो रही हैं। फूड डिलीवरी कंपनी जोमेटो, ओलो,फ्लिपकार्ट, रिलायंस आदि ऑटोमेशन में काम कर रही हैं। इसी वजह से आईटी कंपनियों की डिमांड में बदलाव आया है।

अब सिर्फ जावा और डॉटनेट की जानकारी पर्याप्त नहीं रह गई है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर का पायथन, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (RPA), बिग डाटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉकचेन, ऑगमेंटेड रियल्टी और यूआई/यूएक्स डिजाइन में दक्ष होना जरूरी है। हालांकि, जानकारों का यह भी कहना है कि कंपनियों के लिए भी यह फैसला करना आसान नहीं होगा।

पारंपरिक रिवेन्यू घटकर महज 40 फीसदी आ जाएगा
एक रिपोर्ट के मुताबिक आईटी सर्विस इंडस्ट्री में काम करने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स की संख्या करीब 30 लाख है। इनमें बिजनेस प्रोसेस मैनजमेंट कंपनियां शामिल नहीं हैं। इनमें से करीब 6,000,00 सॉफ्टवेयर इंजीनियर ही डिजिटल टेक्नोलॉजी में दक्ष हैं।

अभी आईटी कंपनियों का करीब 80 फीसदी रेवेन्यू पारंपरिक सेवाओं से आता है। लेकिन, आईटी कंपनियों के संगठन नैस्कॉम का कहना है कि 2025 तक पारंपरिक टेक्नोलॉजी से रेवेन्यू घटकर 40 फीसदी पर आ जाएगी। उसने कहा है कि लगातार नई टेक्नोलॉजी सीखते रहना वक्त की मांग है।