कोटा। कर्मयोगी सेवा संस्थान की ओर से गुरूवार को मयूर टाकीज में राजस्थानी फिल्म पक्की हिरोगिरी दिखाई गई। संस्थान के संस्थापक राजाराम जैन कर्मयोगी और अलका जैन दुलारी ने बताया कि सिनेमा के माध्यम से राजस्थानी भाषा साहित्य को आगे बढाया जा सकता है। इस दौरान फिल्म के निर्देशक अरविंद कुमार का सम्मान किया गया।
उल्लेखनीय है कि राजस्थानी बोली को मान्यता दिलाने को लेकर राजस्थानी फिल्मों नानी बाई रो मायरो, कंगना, मां और पक्की हीरोगिरी राजस्थान भर में दिखाई जा रही है। निर्माता निर्देशक इन फिल्मों को लगातार किसी न किसी शहर में प्रदर्शित करते आ रहे हैं। राजाराम जैन कर्मयोगी ने बताया कि खुशी की बात है कि राजस्थानी फिल्म इंडस्ट्री के साथ ही अन्य लोग भी राजस्थानी को आगे बढाने के लिए साथ आ रहे हैं।
राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए एक अरसे से उठ रही मांग का भले कोई नतीजा न निकल पाया हो लेकिन इंटरनेट और ब्लॉग पर आज यह भाषा दहाड़कर बोल रही है। बस गूगल पर राजस्थानी लैंग्वेज टाइप करने की दरकार है, एक लंबी सूची सामने आ जाएगी, जो राजस्थानी भाषा, उसकी साहित्यिक समृद्धता और कलात्मक वैभव से रूबरू करवाएगी।
अब इन्टरनेट के माध्यम से राजस्थानी बोलना भी सीखा जा रहा है। इस अवसर पर संस्था के वरिष्ठ एडवोकेट विभा प्रधान, सोना मनसुखानी, शक्ति शर्मा, बबीता आर्य, ज्योति गौड़, पुष्पलता मालवीय, फायर अधिकारी कविता शर्मा, फायरमैन रेखा मीणा, रविंद्र तोमर, चिंतामणि, कोटा उत्तर के अध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा, एक्शन फॉर सोसाइटी से अध्यक्ष चंदू पांचाल, महिला अध्यक्ष नीरज कुमारी समेत कईं लोग मौजूद रहे।
राजस्थानी फिल्म पक्की हीरोगिरी के नायक अरविंद कुमार का इंटरव्यू देखिये-