स्वस्थ जीवन के लिए दैनिक जीवन शैली और खान-पान में बदलाव जरूरी

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कोटा। इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से विश्व स्वास्थ्य दिवस पर रविवार को आईएल परिसर में जन जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें चिकित्सकों ने लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने की सलाह देते हुए कहा कि स्वस्थ जीवन जीने के लिए दैनिक जीवन शैली और खान-पान में बदलाव जरूरी है।

डाॅ. के श्रृंगी ने मधुमेह के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि खान पान की आदतें और रहन सहन मधुमेह के लिए जिम्मेदार हैं। हमें डाईट, व्यायाम और पैथलोजिकल तरीकों से शुगर लेवल को मेंटेन रखना चाहिए। दैनिक व्यायाम और संतुलित जीवनशैली के द्वारा मधुमेह की रोकथाम की जा सकती है।

भारत में 6.3 करोड़ लोग मधुमेह के शिकार
डाॅ. रूपेश पंवार ने कहा कि दुनिया भर में करीब 35 करोड़ लोग मधुमेह के शिकार हैं। इनमें से करीब 6.3 करोड़ अकेले भारत में हैं। इस मामले को भारत सरकार के द्वारा संजीदगी से लिया जा रहा है और कैंसर, स्ट्रोक और डायबिटीज की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम को सभी राज्यों में लागू कर दिया गया है।

व्यायाम से हार्ट अटैक को टाला जा सकता है
हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ. साकेत गोयल ने कहा कि प्रतिदिन व्यायाम से अपने वजन को नियंत्रित किया जा सकता है। एक बार हार्ट अटैक झेल चुके लोगों को और अधिक सावधानी से अपनी जीवन शैली में बदलाव करना चाहिए। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर व्यक्ति तनाव से घिरा हुआ है, जो हृदयाघात को मुख्य कारण है।

इसके अलावा अधिक मीठा या मसालेदार भोजन, धूम्रपान, शारीरिक गतिविधियों का अभाव दिल को कमजोर बना रहे हैं और प्रदूषण भी इसमें अपना योगदान दे रहा है। लोग कई बार दिल की बीमारी के बारे में पर्याप्त जानकारी न होने पर इसके लक्षणों की अनदेखी कर देते हैं और जानलेवा स्थिति तक पहुंच जाते हैं। बाएं कंधे में दर्द भी दिल की बीमारी की दस्तक हो सकता है। पैरों में दर्द, सूजन पसीना आना और घबराहट होना भी खतरे की घंटी हो सकता है।

नेत्र विशेषज्ञों से परामर्श के बिना इलाज खतरनाक
डाॅ. सुधीर गुप्ता ने कहा कि ग्रामीण लोगों में आंखों में पानी आना, आंखें लाल होना, खुजलाहट, दर्द, जलन और कम दिखाई देने जैसी शिकायतें ज्यादा पाई जाती हैं। ज्यादातर लोग डॉक्टरी सलाह के बिना इन तकलीफों के उपचार के लिए कोई भी दवा डाल लेते हैं।

आंखों के उपचार के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं में 26 प्रतिशत स्टेरॉइड, 21 प्रतिशत एक्सपायर्ड एवं बिना लेबल वाली दवाएं और 13.2 प्रतिशत घरेलू दवाएं शामिल हैं। नेत्र संबंधी विभिन्न बीमारियों में लगभग 18 प्रतिशत लोग नेत्र विशेषज्ञों से परामर्श के बिना इलाज करते हैं।

दक्ष स्वास्थ्य कर्मियों की जरूरत
डाॅ. एस सान्याल ने कहा कि इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस पर हमारा ध्यान सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज पर केंद्रित है। सभी को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। डाॅ. केवलकृष्ण डंग ने कहा कि हमें मानव संसाधन में निवेश करना होगा। इसके लिए हमें उच्च प्रशिक्षित और दक्ष स्वास्थ्य कर्मियों की जरूरत है।

डाॅ. राजेन्द्र चन्देल ने सभी को मतदान करने की शपथ कराई। इस दौरान डाॅ. उमेश ठाकर, डाॅ. वाई के गुप्ता, डाॅ. सुरभि, डाॅ. लोकेश रावत, डाॅ. जसवंत सिंह, डाॅ. भार्गव समेत कईं चिकित्सक एवं आम जन उपस्थित थे।