नई दिल्ली । ऐसे में जब वस्तु एवं सेवा कर के लागू होने में कुछ ही हफ्तों का वक्त बचा है। केंद्र ई-वे विधेयक का कार्यान्वयन कुछ महीनों तक के लिए स्थगित करने के पक्ष में जान पड़ रहा है। यह बिल 50,000 रुपए तक की कीमत वाली वस्तुओं के पारगमन (मूवमेंट) के लिए जरूरी होता है। ऐसे व्यापारियों को इसे ऑनलाइन माध्यम से प्री-रजिस्टर्ड कराना होता है।
हालांकि इस प्रावधान को टालने की वकालत कर रहे राज्यों के अलावा, जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी नेटवर्क के साथ काम करने के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) से हाथ मिलाने पर सहमति व्यक्त की है ताकि अगर निकट अवधि में अखिल भारतीय ई-वे बिल प्रणाली की स्थापना होती है तो जीएसटी लागू करने में आसानी होगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी काउंसिल जिसमें सभी राज्यों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं ने अप्रैल महीने में ई-वे बिल नियम का ड्रॉफ्ट तैयार किया था। यह नियम अनिवार्य करता है कि अगर 50,000 से ज्यादा कीमत की वस्तुओं का एक राज्य से दूसरे राज्य में पारगमन होता है तो व्यापारी को इसे जीएसटी-नेटवर्क (जीएसटी-एन) वेबसाइट में दर्ज कराना होगा। ड्रॉफ्ट नियमों के मुताबिक जीएसटीएन पर जनरेट हुआ ई-वे बिल सामान्यतय: 1 से 15 दिनों के लिए ही मान्य रहेगा।