यज्ञोपवीत संस्कार के बाद लालन से आचार्य बने कृष्णास्य बावा

0
1200

कोटा। पुष्टि मार्ग वल्लभ सम्प्रदाय में महाराज वल्लभाचार्य की 20वीं पीढी के 17वें तिलकायत लालन कृष्णास्य बावा का यज्ञोपवीत संस्कार शुक्रवार को श्रीप्रथमेश नगर छप्पन भोग परिसर पर स्थित यज्ञोपवीत प्रस्ताव पाण्डाल में आयोजित किया गया।

यज्ञोपवीत प्रस्ताव का कार्यक्रम पंचकेश चोलकर्म से प्रारंभ हुआ। यज्ञ में आहुतियां देकर लालन कृष्णास्य बावा के सिर से पांच बाल लेकर केश मुंडन किया गया। इसके बाद उपनयन संस्कार के तहत लालन को यज्ञोपवीत पहनाया गया और माता के साथ बटुक भोजन कराया गया।

परंपरा के अनुसार माता और बटुक का एक थाली में यह अंतिम भोजन माना जाता है। इसके बाद परंपरानुसार बटुक के दादा प्रथम पीठाधीश्वर विठ्ठलनाथ महाराज के द्वारा लालन बटुक को गायत्री उपदेश और दीक्षा दी गई।

बटुक को ब्रह्मचारी वेश पहनाया गया तथा बटुक के पिता महाराज मिलन गोस्वामी ने अपनी पत्नी और बेटी के साथ यज्ञादि कर्म सम्पन्न कराए। वैष्णव सम्प्रदाय के उपाध्याय मयूर हरीश बड़ौदा ने विभिन्न धार्मिक कर्म सम्पन्न कराए। विभिन्न सात निधियों के आचार्य पीठाधीश्वर शाम को मोतियों की हटड़ी में विराजमान होकर निकले।

संगीतकार पं. रतनमोहन शर्मा हवेली संगीत पेश करते हुए।

पं. रतनमोहन शर्मा के हवेली संगीत ने मनमोहा
इस दौरान पं. जसराज शर्मा के भांजे मेवाती घराने के पं. रतनमोहन शर्मा के द्वारा प्रस्तुत हवेली संगीत ने उपस्थित श्रोताओं का मन मोह लिया। उन्होंने शुरूआत राग भैरव से की तो चारों ओर मथुराधीश प्रभु के जयकारे गूंज उठे।

इसके बाद उन्होंने राग अहीर भैरव में शास्त्रीय धुन पर भजन ‘‘आज तो आनन्द…’’ गाया। इसके बाद राग नट भैरव में ‘‘गोविंद दामोदर माधव…, ‘‘ राग वृन्दावन सारंग में ‘‘आज दधि मीठो मदनगोपाल…’’ की प्रस्तुति दी।

वहीं राग होरी सारंग में ‘‘माई मेरो मन म्होयो, सांवरो घर अंगना ना सुहाये…के बाद बसंत राग में भी शानदार भजनों की प्रस्तुति दी। उनके साथ सारंगी पर संदीप शर्मा, हारमोनियम पर अभिनय, बांसुरी पर आकाश, तबले पर रामेन्द्र सोलंकी संगत कर रहे थे। इस दौरान पुष्टिमार्ग के पीठाधीश्वर प्रमुख आचार्य, वल्लभ सम्प्रदाय, वैष्णव सम्प्रदाय के प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

पूर्व सांसद एवं पूर्व महाराज कुमार इज्येराज सिंह और जिला जज योगेन्द्र ओझा, आरएए भागवंती जेठवानी भी समारोह में मौजूद रहे। सुबह और शाम को भगवान मथुराधीश के दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में तांता लगा रहा।