इंदौर। मध्य भारत के राज्यों में कम बारिश के बावजूद इस साल गेहूं की बोवनी बढ़ने की संभावना है। कुछ राज्यों में ऊंचे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और बोनस के कारण किसान दलहन की जगह गेहूं की खेती करने के लिए प्रेरित हुए हैं। मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में गेहूं का रकबा बढ़ने की संभावना है।
मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में किसानों को एमएसपी पर राज्य सरकार द्वारा घोषित बोनस ने काफी आकर्षित किया है। ‘इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च’ के मुताबिक इस साल किसान दलहन की बोवनी कम करने और अनाज की खेती बढ़ाने का इरादा रखते हैं। किसानों को पिछले पूरे साल दलहन के भाव कम मिले। साथ ही लागत बढ़ना भी एक बड़ी वजह है।
पंजाब और हरियाणा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में 45 प्रतिशत गेहूं का योगदान करता है। इन राज्यों में कुल 60 लाख हेक्टेयर में यानी 95 प्रतिशत से अधिक बोवनी पूरी हो चुकी है। पंजाब और हरियाणा में गेहूं की खेती एक जैसी रहने की उम्मीद है।
इन राज्यों में मौसम अनुकूल रहने से 15 दिसंबर तक गेहूं की बोवनी बढ़ सकती है। राज्य में लगभग 6.5 लाख हेक्टेयर में कपास भी उगाया जाता है, लेकिन इसकी खेती मावठे पर निर्भर करती है।
गेहूं को लेकर रुझान सकारात्मक
गेंहू का स्टॉक इस समय सरकार के पास ही है। सरकार द्वारा खरीदे गए गेहूं की बिक्री लगातार होने से बाजार में भाव भले ही स्थिर हो, लेकिन किसानों के लिए ससमयबद्ध तरीके से गेहूं की बिक्री हो जाने से इसकी बोवनी में उनकी दिलचस्पी बढ़ती नजर आ रही है।
गेहूं के आयात पर लगाए गए भारी-भरकम शुल्क से भी पूरे साल इसके भाव 2,200 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर रहे। इससे किसानों को आगामी सीजन में 2,000 रुपए से अधिक भाव मिलने की पूरी संभावना है।
दलहन से बेरुखी
दूसरी ओर चना और मसूर में पिछले एक माह को छोड़ दिया जाए तो औसतन 3,600 रुपए के आसपास ही भाव मिले हैं। इसकी उपज पर वैसे भी कम बारिश वाले इलाको में असर होने की आशंका है। किसान कम लागत और कम पानी की फसल लेने के प्रयास में भी गेहूं के प्रति अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं।