मुंबई। टाटा कंसल्टेंसी सर्विस (टीसीएस) से टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी को जॉइन करने के बाद टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन का सैलरी पैकेज वित्त वर्ष 2017-18 में डबल हो गया। पिछले वित्त वर्ष में 56 साल के चंद्रशेखरन को 55.11 करोड़ रुपये का पैकेज मिला। इसमें से 85 पर्सेंट रकम उन्हें कमीशन और मुनाफे के तय हिस्से के तौर पर मिली। टाटा संस की एनुअल रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।
चंद्रशेखरन नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाले 103 अरब डॉलर के टाटा ग्रुप के चेयरमैन पिछले साल फरवरी में बने थे। पिछले वित्त वर्ष में 11 महीने टीसीएस में मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर काम करने की एवज में उन्हें 30.15 करोड़ रुपये मिले थे।
टाटा संस के पिछले चेयरमैन सायरस मिस्त्री की तुलना में चंद्रशेखरन की सैलरी तीन गुना अधिक है। मिस्त्री को अक्टूबर 2016 में टाटा संस के बोर्ड ने जब निकाला था, तब उनका सालाना पैकेज 16 करोड़ रुपये था।
सूत्रों ने बताया कि मिस्त्री ने टाटा संस की प्रॉफिटेबिलिटी से अपना सैलरी पैकेज जोड़ा था। वह पालोनजी मिस्त्री परिवार के उत्तराधिकारी हैं और भाई शापूर मिस्त्री के साथ टाटा संस के सबसे बड़े इंडिविजुअल शेयरहोल्डर हैं। उन दोनों के पास कंपनी के 18.4 पर्सेंट शेयर हैं।
टाटा ग्रुप के पहले गैर-पारसी चेयरमैन चंद्रशेखरन के रिश्ते सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ अच्छे हैं। यह जानकारी टाटा ग्रुप के अधिकारियों ने दी है। टाटा ग्रुप अभी बिजनस रिस्ट्रक्चरिंग कर रहा है, जिसमें मार्जिन पर काफी ध्यान दिया जा रहा है।
वह एविएशन और डिफेंस सेगमेंट में बिजनस बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। इसके साथ कोर बिजनस स्टील की कैपेसिटी बढ़ाई जा रही है। जिन बिजनस का स्केल नहीं बढ़ाया जा सकता, ग्रुप उन्हें बंद कर रहा है।
एक विदेशी ब्रोकरेज फर्म के इनवेस्टमेंट एनालिस्ट ने कहा,’चंद्रशेखरन पर जो जिम्मेदारी है, उस हिसाब से उनकी सैलरी ठीक है। टाटा ग्रुप को संभालना कोई मजाक नहीं है। इसके बावजूद सैलरी को ग्रुप के परफॉर्मेंस में सुधार से जोड़ना चाहिए।’
उन्होंने इस मामले में टाटा संस में बड़े राइटऑफ का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह देखना होगा कि वित्त वर्ष 2019 में ग्रुप का प्रदर्शन कैसा रहता है। ग्रुप सीएफओ सौरभ अग्रवाल को जून 2017 के बाद 11 महीनों के लिए 13.46 करोड़ रुपये का सैलरी पैकेज मिला है। अग्रवाल इससे पहले इनवेस्टमेंट बैंकर और बिड़ला ग्रुप में स्ट्रैटेजी हेड थे।