श्रीनगर। अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र की नई व्यवस्था वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) में अब जबकि 500 सेवाओं और 1,200 वस्तुओं के लिए दरें तय की जा चुकीं हैं, पेट्रोलियम पदार्थों को इसके दायरे में लाने की मांग जोर पकडऩे लगी है। जम्मू और कश्मीर ने इस दिशा में पहला कदम उठाया है।
केरोसिन, नाफ्था और एलपीजी जैसे उत्पाद तो जीएसटी के दायरे में होंगे लेकिन पांच पेट्रोलियम पदार्थों – कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, विमान ईंधन, डीजल और पेट्रोल को पहले साल के लिए जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है।
जम्मू-कश्मीर के वित्त मंत्री हसीब द्राबू ने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा कि जिन पांच पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी से बाहर रखा गया है उन्हें भी इसके दायरे में लाया जाना चाहिए ‘अन्यथा देश की कर व्यवस्था में आजादी के बाद किए जाने वाले सबसे बड़े बदलाव की बात कहां रह जाएगी।’
उन्होंने कहा, ‘अब इसमें बदलाव क्यों, आप यदि इस दिशा में बढ़ रहे हैं और आपने कोई ढांचा तैयार किया है, तो अब इस तरह के काम कर (उत्पादों को बाहर रखकर) आपको इसे बिगाडऩा नहीं चाहिए।’ जम्मू-कश्मीर के वित्त मंत्री के विचार क्षेत्र के विशेषज्ञों के विचारों के ही अनुरूप है।
अनेक विशेषज्ञों का मानना है कि पेट्रोलियम पदार्थों को भी शुरुआत से ही जीएसटी के दायरे में रखा जाना चाहिए। द्राबू ने कहा कि जीएसटी का कि क्रियान्वयन अब इसके अंतिम चरण में पहुच चुका है। पिछले सप्ताह द्राबू ने श्रीनगर में जीएसटी परिषद की 14वीं बैठक की मेजबानी की थी।
दो दिन चली जीएसटी परिषद की बैठक में ही विभिन्न वस्तुओं के लिए दरें तय की गईं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि 1 जुलाई से जीएसटी को लागू किया जा सकता है।’ हालांकि, उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी और करदाताओं के बीच जागरुकता पर ध्यान दिया जाना चाहिए।