कोटा। राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके कौशिक ने कहा है कि विश्वविद्यालय में कृषि अभियांत्रिकी पाठ्यक्रम चालू करने के बारे में विचार किया जाएगा। समुचित रेस्पोंस मिलने पर इसे चालू करना संभव है। ।
प्रो.कौशिक रविवार को इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियर्स कोटा चेप्टर द्वारा आयोजित कृषि अभियांत्रिकी पर 32 वीं नेशनल सेमिनार को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बीकानेर में इस प्रकार का कोर्स चल रहा है।
राजस्थान में रिफाईनरी के विकास को देखते हुए नई ब्रांचें पैट्रो केमिकल्स, नैना टेक्नोलॉजी, पैट्रोलियम इंजीनियरिंग आदि कोर्स चालू किए गए थे, लेकिन उनका पर्याप्त रेस्पोंस नहीं आया। कौशिक ने कहा कि कृषि तकनीक को गांवों का आधार बनाने के बाद भी सतत कृषि का विकास नहीं हुआ तो दुर्भाग्य होगा।
सेमिनार के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए भारत सरकार के मृदा एवं जल संरक्षण अनुसंधान केंद्र के चेयरमेन आरके सिंह ने कहा कि किसी भी शोध कार्य का लाभ किसानों तक पहुंचना चाहिए। प्रोडक्ट वैल्यू एडेड होने चाहिए। खेतों के अपशिष्टों का समुचित प्रबंधन हो। इस की तकनीक को गांवों व किसानों तक पहुंचाया जाए।
इंस्टीट्यूट के एग्रीकल्चर डिवीजन बोर्ड के चेयरमेन नूतन कुमार दास ने कहा कि कचरा प्रबंधन से बिजली उत्पादन की तकनीक पर काम करने की आवश्यकता है। जो गांवों के सतत विकास की आवधारणा को सार्थक करेगी।
इंस्टीट्यूट के चेयरमेन सीकेएस परमार ने पानी की एक एक बूंद और मिट्टी के एक एक कण को कृषि विकास का आधर बताया। उन्होंने गांवों के विकास और खेत सुधार के सुझाच दिए। सिंचाई विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता ओपी सक्सेना ने कहा कि कोटा पानी के मामले में काफी समृद्ध है। अभियंताओं की लड़ाई जीवन के सभी पंच तत्वों हवा पानी, अग्नि, पृथ्वी व आकाश से होती है।
इस अवसर पर अभियंता अनियद्ध सिंह द्वारा तैयार आईईआई की वेबसाइट का भी अतिथियों ने लोकार्पण किया। हाड़ौती में जल उपयोगिता संगम के केके शर्मा ने कहा कि किसानों के हितों की योजनाएं धरातल पर नहीं उतरी। नहरी क्षेत्र सुधार की योजनाऐं कागजी साबित हुई।
इस मौके पर हेड ऑफिस के प्रतिनिधि सुरजीत घोष डॉ. प्रताप सिंह, वीके जैन, केपी ओझा , रोहिणी शर्मा, डीसी गुप्ता, जगदीश शर्मा, धीसा राम आदि का भी सम्मान किया गया। संचालन आयोजन सचिव आंनद बर्दवा ने किया।