नई दिल्ली। करदाताओं के खिलाफ अनुचित तरीके से ज्यादा इनकम टैक्स निकालने को सरकार ने गंभीरता से लिया है। ऐसे असेसमेंट अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है। अभी तक 10 असेसमेंट अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है। आयकर विभाग की सबसे बड़ी बॉडी सीबीडीटी के चेयरपर्सन सुशील चंद्रा ने रीजनल टैक्स अधिकारियों को इस बारे में निर्देश भेजा है।
सीबीडीटी ने 4 साल पहले हर रीजन में लोकल कमेटी बनाने का निर्देश दिया था। प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर इसके प्रमुख बनाए गए थे। इसका मकसद हाई-पिच्ड स्क्रूटनी से उपजी करदाताओं की शिकायतें दूर करना था। कमेटी को गलत टैक्स डिमांड को ठीक करने के साथ यह भी सुनिश्चित करना था कि करदाता को परेशानी ना हो। चंद्रा के अनुसार जहां भी हाई-पिच्ड असेसमेंट मिले वहां अधिकारी से जवाब-तलब हो। उसका तत्काल ट्रांसफर किया जाए और जरूरी हो तो अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।
कार्रवाई करने वाली समितियों का काम संतोषजनक नहीं
सीबीडीटी प्रमुख का कहना है कि करदाताओं की शिकायतें दूर करने के लिए बनी लोकल कमेटियों का काम संतोषजनक नहीं रहा है। 2016-17 में समितियों ने जो रिपोर्ट भेजी वे पूरी नहीं थीं। 2017-18 में तो किसी लोकल कमेटी ने रिपोर्ट ही नहीं भेजी। ट्रांसफर और प्रमोशन के कारण ज्यादातर समितियों में लोग कम हैं।
जीएसटी काउंसिल 21 को दे सकती है सालाना रिटर्न को मंजूरी
जीएसटी में डिजिटल पेमेंट करने पर अभी इन्सेंटिव नहीं मिलेगा। सुशील मोदी कमेटी काउंसिल के सामने इन्सेंटिव एक साल टालने का प्रस्ताव रखने वाली है। रविवार को कमेटी की बैठक हुई, जिसमें टैक्स रेवेन्यू स्थिर होने और नया रिटर्न फाइलिंग सिस्टम लागू होने तक इंतजार करने का निर्णय लिया गया। काउंसिल की बैठक 21 जुलाई को होगी। मई की बैठक में 2% छूट के प्रस्ताव पर विचार हुआ था।
कमेटी के बारे में प्रचार करने का निर्देश
सीबीडीटी प्रमुख ने हर 3 महीने में कंप्लायंस रिपोर्ट मांगी है। साथ ही इस व्यवस्था का प्रचार-प्रसार करने को कहा है ताकि करदाताओं को इसकी जानकारी मिले।
क्या होता है हाई-पिच्ड स्क्रूटनी असेसमेंट
सतही आधार पर इनकम का ज्यादा आकलन करने, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन ना करने और लापरवाही और अविवेकपूर्ण निर्णय इसके दायरे में आते हैं।
रिवर्स चार्ज लागू करने पर अभी फैसला नहीं
सुशील मोदी की अध्यक्षता में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म पर बनी कमेटी की भी बैठक हुई। यह आरसीएम में आने वाले रजिस्टर्ड लोगों को नोटिफाई करने का अधिकार जीएसटी काउंसिल को देने की सिफारिश करेगी। अभी काउंसिल की सिफारिश पर सरकार को नोटिफिकेशन जारी करने का अधिकार है। रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म लागू करने की तारीख पर बाद में फैसला होगा। इसे 30 सितंबर तक टाला गया है।
रिटर्न-ऑडिट फॉर्मेट को मंजूरी की उम्मीद
काउंसिल की अगली बैठक में सालाना रिटर्न और ऑडिट फॉर्मेट को मंजूरी दिए जाने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2017-18 के लिए कर्मचारियों को 31 दिसंबर 2018 तक सालाना रिटर्न फाइल करना है। जिनका बिजनेस 2 करोड़ रुपए से अधिक है उन्हें रिटर्न के साथ ऑडिट रिपोर्ट भी फाइल करनी है। टैक्स विशेषज्ञों के मुताबिक नया सालाना रिटर्न फॉर्म वैट के समय के रिटर्न फॉर्म की तरह हो सकता है।