मुंबई। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) की शीर्ष 500 कंपनियों में हिस्सेदारी के मामले में अब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का वर्चस्व खत्म होने केे कगार पर पहुंच गया है। पिछले दो वर्षों में भारत के घरेलू निवेशकों ने बीएसई 500 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 22.2 फीसदी तक पहुंचा दी है जबकि इस अवधि में एफपीआई की हिस्सेदारी घटकर 23.7 फीसदी पर आ गई है।
इन कंपनियों में अपना अंशदान बढ़ाने वाले घरेलू निवेशकों में संस्थागत निवेशकों के साथ खुदरा निवेशक भी शामिल हैं। इक्विटी निवेश के प्रति खुदरा निवेशकों में बढ़ते आकर्षण का ही असर है कि बीते दो वर्षों में उनकी हिस्सेदारी करीब 300 आधार अंक तक बढ़ गई है।विशेषज्ञों का कहना है कि घरेलू खुदरा निवेशक अब इक्विटी खरीदने के लिए पहले से कहीं अधिक इच्छुक हैं और इसी वजह से बीएसई 500 कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी बढ़ रही है।
‘घरेलू खुदरा निवेशकों के लिए अब इक्विटी काफी पसंदीदा निवेश विकल्प बन गए हैं। ये निवेशक लंबे समय तक निवेश का नजरिया भी दिखा रहे हैं। एफपीआई भी भारतीय बाजार में पैसे कमानेे के लिए इसी तरह का रवैया अपनाते आए हैं।’वर्ष 2015 के पहले घरेलू निवेशक मूलत: शेयर विक्रेताओं की तरह ही बर्ताव करते थे जिससे इन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी को वे विदेशी निवेशकों के हवाले कर देते थे। मार्च 2017 के अंत में एफपीआई ने बीएसई500 कंपनियों में करीब 25 लाख करोड़ रुपये का निवेश कर रखा था जो मार्च 2015 के 23.7 लाख करोड़ रुपये के स्तर से 5.6 फीसदी अधिक है।
जबकि इस अवधि में इन कंपनियों का सम्मिलित बाजार पूंजीकरण 16 फीसदी बढ़ गया। शीर्ष 500 कंपनियों में घरेलू निवेशकों का कुल निवेश करीब 23.3 लाख करोड़ रुपये रहा है। यह मार्च 2015 की तुलना में 34.4 फीसदी की उछाल दर्शाता है। इसमें से करीब 45 फीसदी निवेश यानी 10.4 लाख करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्ति सार्वजनिक एवं व्यक्तिगत अंशधारकों के पास है। अगर प्रवर्तकों से इतर कॉर्पोरेट होल्डिंग को भी शामिल कर लिया जाए तो इक्विटी में कुल घरेलू निवेश बढ़कर 28 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा।
विदेशी निवेशकों को एचडीएफसी बैंक, एचडीएफ सी और इन्फोसिस के शेयर सबसे ज्यादा पसंद हैं और बीएसई के कुल एफपीआई में इसकी हिस्सेदारी करीब 20 फ सदी है। घरेलू निवेशक रिलायंस इंडस्ट्रीज, लार्सन ऐंड टुब्रो और एचडीएफसी बैंक को तरजीह देते रहे हैं। यही वजह है कि बीएसई 500 कंपनियों में घरेलू निवेशकों के कुल निवेश का 15 फीसदी हिस्सा इन तीन कंपनियों के ही नाम है। यह विश्लेषण बीएसई 500 सूचकांक में शामिल 452 कंपनियों के बाजार पूंजीकरण और शेयरधारिता प्रारूप के तिमाही आकलन पर आधारित है।