क्रूड सस्ता, फिर पेट्रोल-डीजल महंगा क्यों, सरकार चुप क्यों ?

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नई दिल्ली/भुवनेश्वर।  पेट्रोल-डीजल के दाम सोमवार को लगातार 15वें दिन बढ़े। दिल्ली में पेट्रोल 15 पैसे महंगा होकर 78.27 रु. का हो गया है। डीजल की कीमत 69.17 रु. हो गई। इसमें 11 पैसे की वृद्धि हुई। 14 मई से 15 दिनों पेट्रोल 3.64 रु. और डीजल 3.24 रु. महंगे हो चुके हैं। दोनों के दाम रोजाना नया रिकॉर्ड बना रहे हैं। पहले सरकार कच्चे तेल के दाम बढ़ने और डॉलर की तुलना में रुपया कमजोर होने को मूल्यवृद्धि की वजह बता रही थी। लेकिन 5-6 दिनों में स्थिति बदलने के बावजूद दाम बढ़ रहे हैं।

क्रूड 80 डॉलर से घटकर 75 डॉलर प्रति बैरल पर आया
ब्रेंट क्रूड 23 मई को 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। यह नवंबर 2014 के बाद सबसे अधिक था। उसके बाद रूस और सऊदी अरब ने उत्पादन बढ़ाने की बात कही। तब से दाम घट रहे हैं। पांच दिन में दाम 6% घटकर सोमवार को 75 डॉलर तक आ गए।

पेट्रोलियम मंत्रालय ने पेट्रोल और डीजल में फ्यूचर ट्रेडिंग को मंजूरी दे दी है। अब इस पर रेगुलेटर सेबी की मंजूरी बाकी है। कमोडिटी एक्सचेंज आईसीईएक्स के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से सुरक्षा के लिए हेजिंग की जा सकेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि पेट्रोल-डीजल के दाम अंतत: क्रूड पर निर्भर होंगे, इसलिए इनमें फ्यूचर का ज्यादा मतलब नहीं है। क्रूड में पहले ही फ्यूचर ट्रेडिंग हो रही है।

रुपया भी 1.5% मजबूत
23 मई को एक डॉलर 68.42 रु तक चला गया था। इसके बाद से डॉलर में गिरावट जारी है, यानी रुपया मजबूत हो रहा है। सोमवार को एक डॉलर की कीमत 67.43 रु. हो गई थी।

लेकिन हफ्ते भर बाद भी सरकार का बयान वही
दाम तीन कारणों से बढ़ रहे हैं। क्रूड महंगा हुआ, डॉलर की तुलना में रुपए में कमजोरी आई और टैक्स का भी कुछ मुद्दा है। लाॅन्ग टर्म समाधान के लिए सरकार समग्र रणनीति पर विचार कर रही है। (21 मई को भी कहा था कि सरकार विकल्पों पर विचार कर रही है। तब भी यह नहीं बताया था कि कौन से विकल्प होंगे।)