कोटा। राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी के सिविल इंजीनियरिंग ब्रांच फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स ने बिना सीमेंट के ही कंक्रीट तैयार करने में सफलता हासिल की है। तीन अलग-अलग स्टेज में मैटेरियल को चैक करने के बाद इसकी मजबूती सीमेंट के कंक्रीट से अधिक पाई गई है। खास बात यह है कि सीमेंट से बनने वाले कंक्रीट से वातावरण प्रदूषित होता है।
इस पूरी तरीके से एनवायरमेंट फ्रेंडली है। आरटीयू के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ने इसको एक बड़ी उपलब्धि बताया है। कंक्रीट को बनाने वालों की टीम में शामिल चंचल कुमारी ने बताया कि सामान्य रूप से कंक्रीट को तैयार करने के लिए सीमेंट, रेत व गिट्टी एक, दो व तीन के अनुपात में मिलाई जाती है।
स्टूडेंट्स ने सीमेंट की जगह थर्मल से निकलने वाले राख और आयरन फैक्ट्री से निकलने वाली अपशिष्ट पदार्थ स्लैग पाउडर के मिश्रण को काम में लिया। साधारण कंक्रीट के लिए मैटेरियल को एक दिन तक गर्म किया जाता है। इस मैटेरियल को गर्म की जरूरत नहीं पड़ी। इसी कारण पर्यावरण को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचा।
इस कंक्रीट को भट्टी में गर्म करने की जगह धूप में ही रखा गया। इसके बाद मजबूत जांचने में अधिक पाई गई। यह जिओपॉलिमर कंक्रीट राजस्थान में पानी की कमी को देखते हुए निर्माण कार्यों में काफी उपयोगी साबित हो सकता है। यह प्रोजेक्ट स्टूडेंट्स ने शिक्षक प्रोफेसर प्रवीण कुमार अग्रवाल के निर्देशन में पूरा किया।
30 की जगह 35 से 40 एमपीए आई मजबूती
सीमेंट से तैयार किए गए कंक्रीट की मजबूती आरटीयू में स्थापित कॉम्प्रहेंसिव टेस्टिंग मशीन में 30 एमपीए आती है। बिना सीमेंट के बनाई गई कंक्रीट को जब इसी मशीन में टेस्ट किया गया तो उसकी मजबूती 35 से 40 एमपीएस आई है। इस पर लागत भी कम आई है।
यह रहेे टीम में शामिल :कंक्रीट को बनाने वाली टीम में चंचल कुमारी के साथ साथ गोविंद वैष्णव, मुकुंद मोहन, गोविंद शर्मा, अमिता महावर, बुलबुल गौतम, दिलीप पटेल, कृष्ण मुरारी, हर्ष, आयुषि, निष्ठा शामिल रहे।