बैंक डिपॉजिट ग्रोथ गिरकर पांच दशक के निचले स्तर पर

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मुंबई। बैंकों के हाथ से नोटबंदी का फायदा निकलने और म्यूचुअल फंड्स व इंश्योरेंस कंपनियों में लोगों के अधिक पैसा लगाने से मार्च 2018 में खत्म वित्त वर्ष में बैंक डिपॉजिट ग्रोथ गिरकर पांच दशक के निचले स्तर पर चली गई।

रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018 में बैंकिंग सिस्टम में डिपॉजिट 6.7 पर्सेंट बढ़ा, जो 1963 के बाद सबसे कम ग्रोथ है। बैंकरों का कहना है कि नोटबंदी के बाद आए पैसे के निकलने और बचत के फाइनैंशल प्रॉडक्ट्स में लगने से डिपॉजिट ग्रोथ में कमी आई है।

एसबीआई में रिटेल और डिजिटल बैंकिंग के मैनेजिंग डायरेक्टर पी के गुप्ता ने कहा, ‘नोटबंदी के बाद डिपॉजिट में काफी बढ़ोतरी हुई थी। इसलिए पिछले साल डिपॉजिट ग्रोथ अधिक थी। हालांकि, इसमें से काफी पैसा पिछले वित्त वर्ष में बैंकिंग सिस्टम से निकल गया। इसलिए डिपॉजिट ग्रोथ कमजोर दिख रही है।’

नोटबंदी के बाद नवंबर-दिसंबर 2016 में बैंकों के पास 15.28 लाख करोड़ रुपये आए थे। इससे वित्त वर्ष 2017 में बैंकों का डिपॉजिट 15.8 पर्सेंट बढ़कर 108 लाख करोड़ रुपये हो गया था। अब इसकी ग्रोथ 6.7 पर्सेंट रह गई है और कुल डिपॉजिट 114 लाख करोड़ रुपये है।

लोग बचत का पैसा म्यूचुअल फंड और इंश्योरेंस कंपनियों के प्रॉडक्ट्स में लगा रहे हैं। इसका भी बैंकों की डिपॉजिट ग्रोथ पर बुरा असर हुआ है। वित्त वर्ष 2018 में म्यूचुअल फंड्स का असेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 22 पर्सेंट की बढ़ोतरी के साथ 21.36 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो मार्च 2017 में 17.55 लाख करोड़ रुपये था।

वित्त वर्ष 2016 में यह 42 पर्सेंट की बढ़ोतरी के साथ 12.33 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था। इंश्योरेंस कंपनियों का भी फर्स्ट प्रीमियम वित्त वर्ष 2017 से 1.75 लाख करोड़ से बढ़कर 2018 में 1.93 लाख करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 2016 में यह 1.38 लाख करोड़ रुपये था।

इस बारे में इकरा में फाइनैंशल सेक्टर रेटिंग्स के हेड कार्तिक श्रीनिवासन ने कहा, ‘नोटबंदी के बाद बैंकिंग सिस्टम में काफी पैसा आया था। डिपॉजिट ग्रोथ कम होने में इस बेस इफेक्ट ने अच्छी भूमिका निभाई है। वैसे म्यूचुअल फंड में लोगों की दिलचस्पी भी बढ़ी है। इस साल ब्याज दरों में बढ़ोतरी हो रही है।

इसलिए शेयर बाजार कमजोर रह सकता है। इससे डिपॉजिट में बढ़ोतरी हो सकती है।’ बैंक रेट्स में पहले ही बढ़ोतरी शुरू हो चुकी है। एचडीएफसी बैंक ने पिछले हफ्ते 1 करोड़ से कम जमा पर फिक्स्ड डिपॉजिट रेट में 1 पर्सेंट तक की बढ़ोतरी की थी। बैंकरों का कहना है कि डिपॉजिट को म्यूचुअल फंड्स और इंश्योरेंस कंपनियों के प्रॉडक्ट्स की तुलना में अभी भी अधिक लिक्विड माना जाता है।