लखनऊ। सीजन की शुरुआत में बेदम आलू की कीमतें अब अपना दम दिखाने लगी हैं। देश के प्रमुख आलू उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश के थोक कारोबारियों का मानना है कि इस बार बरसात आते आते आलू की खुदरा कीमत 30 रुपये किलो तक पहुंच सकती है। फिलहाल आलू 25 रुपये किलो के भाव बिक रहा है।
प्रदेश में आलू की कीमत में बेतहाशा इजाफे का एक बड़ा कारण कोल्ड स्टोरों में नए माल का भंडारण और दूसरे राज्यों को हो रहा निर्यात है। सोमवार को ज्यादातर शहरों की खुदरा मंडियों में आलू की कीमत 25 रुपये किलो तक पहुंच गई, वहीं थोक में यह 14 से 18 रुपये किलो बिक रहा था। आढ़तियों का कहना है कि बीते एक दशक में खुले बाजार में आलू की यह सबसे ज्यादा कीमत है।
आलू की बढ़ती कीमत के चलते किसानों ने सरकारी खरीद केंद्रों से किनारा कर लिया है। किसानों का कहना है कि सरकारी सर्मथन मूल्य से करीब दोगुना ज्यादा दाम उन्हें थोक मंडियों में मिल रहा है। फरवरी में आलू की कीमतें लागत से भी नीचे पहुंचने के बाद राज्य सरकार ने इसकी खरीद का ऐलान किया था।
आलू किसानों की बदहाली को देखते हुए प्रदेश सरकार ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। समिति ने आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य 546 रुपये प्रति क्विंटल करने, सरकारी खरीद करने, निर्यात भाड़े में सब्सिडी देने का सुझाव दिया था।
योगी सरकार ने दो लाख टन आलू की सरकारी खरीद करने का ऐलान करते हुए प्रदेश के सभी जिलों में खरीद केंद्र खोले हैं। उत्तर प्रदेश में बीते तीन वर्षों से आलू की बंपर पैदावार हो रही है। उत्तर प्रदेश में बीते साल जहां 1.55 लाख क्विंटल आलू का उत्पादन हुआ था जबकि उद्यान विभाग का आकलन है कि इस साल उत्पादन करीब 1.65 लाख क्विंटल तक हो सकता है।