13 अरब रुपये के शेयरों का कोई दावेदार नहीं

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मुंबई। करीब एक लाख से अधिक शेयरधारक ऐसे हैं जिनके पास देश की कुछ बड़ी कंपनियों के अरबों रुपये मूल्य के शेयर हैं लेकिन उनका कोई अता-पता नहीं है। विश्लेषण में पाया गया कि इन कंपनियों के पास कम से कम 13.02 अरब रुपये मूल्य के शेयर ऐसे हैं जिनका कोई दावेदार नहीं है। इन शेयरों का दावा नहीं करने के पीछे कई वजहें हैं, जिनमें वारिसों को अपने पूर्वजों की विरासत के बारे में पता नहीं है और शेयर सर्टिफिकेट गुम हो गए हैं।

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बिना दावे वाले शेयरों में सबसे ज्यादा मूल्य के शेयर आईटीसी के हैं। इसके पास 1.371 करोड़ शेयर ऐसे हैं जिनका कोई दावेदार नहीं है और इसका मूल्य करीब 3.6 अरब रुपये है। यह आंकड़ा दिसंबर तक हैं, जिसका विश्लेषण बिज़नेस स्टैंडर्ड ने किया है। इसी तरह रत्न एवं आभूषण कंपनी टाइटन के पास 1.6 अरब रुपये मूल्य के 17.1 लाख शेयर हैं, जिनके दावेदारों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। खनन कंपनी वेदांत के पास 95.7 करोड़ रुपये मूल्य के 34 लाख शेयर हैं।

बिना दावे वाले शेयरधारकों की संख्या के लिहाज से अंबुजा सीमेंट्स पहले नंबर पर है। इसके 166,277 शेयरधारकों के 11.4 लाख शेयर बिना दावे के हैं, जिनका मूल्य 27.11 करोड़ रुपये से अधिक है। आईटीसी के ऐसे शेयरधारकों की संख्या 7,083 हैं, वहीं टाइटन के 1,502 और वेदांत के 3,980 शेयरधारक हैं। हालिया प्रावधान की दृष्टिï से इस रकम का महत्व काफी बढ़ जाता है क्योंकि इसमें कहा गया है कि ऐसे शेयरों को निवेशक शिक्षा एवं सुरक्षा कोष (आईईपीएफ) में हस्तांतरित करना होगा।

सलाहकार फर्म कॉर्पोरेट प्रोऊेशनल्स के पार्टनर अंकित सिंघी ने कहा कि हस्तांतरण प्रावधान कंपनी अधिनियम 2013 के साथ लागू किया गया है। इससे पहले कंपनियों को सात साल तक बिना दावे वाले शेयरों के लाभांश को आईईपीएफ में हस्तांतरित करना होता था। नए प्रावधान के तहत अब शेयरों को भी हस्तांतरित करना होता है और संशोधित प्रावधान की अधिसूचना 2016 में जारी की गई थी।