नई दिल्ली। जीएसटी के बाद आज से ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में सरकार ने एक कदम और बढ़ा दिया है। पूरे देश में इंटर स्टेट ई-वे बिल फिर से लागू कर दिया गया है। इसके जारिए सरकार का दावा है कि देश में गुड्स का मूवमेंट बेहद आसान हो जाएगा। साथ ही चुंगी नाकाओं पर ट्रकों और गुड्स कैरियर व्हीकल की लाइन भी खत्म होगी।
ई-वे बिल पूरे तरह से ऑनलाइन सिस्टम होगा। जिसमें किसी ट्रांसपोर्टर को 50 हजार रुपए से ज्यादा का गुड्स ट्रांसपोर्ट करने पर ऑनलाइन ई-वे बिल जेनरेट करना होगा। आज से शुरू हुए इस नए सिस्टम को लेकर कारोबारियों में आशंका भी है। उसकी दो प्रमुख वजहें है, पहला यह कि ई-वे बिल इससे पहले 1फरवरी 2018 में भी लागू किया गया था। लेकिन ऑनलाइन नेटवर्क सिस्टम कुछ ही घंटों में फेल हो गया। जिसकी वजह से सरकार ने इसे अनिश्चचित समय के लिए टाल दिया।
दूसरी प्रमुख वजह यह है कि ई-वे बिल अभी भी पूरी तरह से लागू नहीं किया जा रहा है। ई-वे बिल का अहम हिस्सा इंट्रा-स्टेट बिल 15 अप्रैल से तीन राज्यों में ही केवल शुरू होगा। जिसके बाद इसे चरणबद्ध तरीके लागू किया जाएगा। सरकार के लिए एक चिंता की यह भी बात है कि ई-वे बिल के तहत जीएसटी में रजिस्टर्ड कुल कारोबारियों में से केवल 10 फीसदी ही रजिस्ट्रेशन कराया है। पुराने अनुभव को देखते हुए कारोबारियों ने 31 मार्च तक ही एडवांस में गुड्स का ट्रांसपोर्ट अगले 4-6 हफ्तों के लिए कर दिया है।
ई-वे बिल किसे है बनाना
ई-वे बिल रजिस्टर्ड कारोबारी, डीलर्स और ट्रांसपोर्टर्स को 50 हजार रुपए से ज्यादा का गुड्स ट्रांसपोर्ट करने पर ऑनलाइन ई-वे बिल जेनरेट करना होगा। ट्रांसपोर्टर्स अगर एक ही व्हीकल में एक से ज्यादा डीलर्स का स्टॉक लेकर जाता है तो उसे कन्सॉलिडेटेट ई-वे बिल बनाना होगा। 20 लाख से कम टर्नओवर वाले अनरजिस्टर्ड डीलर जो जीएसटी के पोर्टल पर रजिस्टर नहीं है, उन्हें भी 50 हजार से अधिक का माल अनरजिस्टर्ड डीलर को ट्रांसपोर्टल करते समय ई-वे बिल बनाना होगा।
सिस्टम फेल हुआ तो महंगाई बढ़ने का डर
ट्रेडर्स एसोसिएशन और कारोबारियों को अभी भी यही लगता है कि ई-वे बिव सिस्टम फेल हो सकता है। सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ताराचंद गुप्ता ने बताया कि अगर इस बार भी ट्रेडर्स ई-वे बिल जेनरेट नहीं कर पाएंगे तो माल गोदाम से दुकान में नहीं पहुंचा पाएंगे। एक राज्य से दुसरे राज्य में ई-वे बिल जेनरेट नहीं होने की वजह से स्टॉक नहीं जा पाया तो प्रोडक्ट्स की कीमतें बहुत तेजी से बढ़ेंगीं और इससे महंगाई बढ़ने का डर रहेगा।
कम रजिस्ट्रेशन गुड्स मूवमेंट को रोक सकता है
कारोबारियों का ई-वे बिल को लेकर काफी कैजुअल अप्रोच है। जीएसटी पोर्टल पर करीब 90 लाख से अधिक कारोबारियों ने रजिस्ट्रेशन कराया हुआ लेकिन ई-वे बिल की वेबसाइट पर अभी तक 11 लाख कारोबारियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
रेवेन्यू सेक्रेटरी हंसमुख अढिया भी कह चुके हैं कि उन्हें नहीं पता कि ट्रेडर्स, डीलर्स और ट्रांसपोटर्स इसके लिए तैयार हैं और वह रजिस्ट्रेशन करा लें क्योंकि बाद में वह शिकायत नहीं कर सकते कि उन्हें बताया नहीं गया। 11 लाख रजिस्ट्रेशन का मतलब है कि इनते कारोबारी ही ई-वे बिल जेनरेट कर सकते हैं। इसका सीधा असर गुड्स की मूवमेंट पर पड़ेगा।
कारोबारियों ने एडवांस में पहुंचा दिया है सामान
ई-वे बिल लागू होने से कॉम्पलाएंस बढ़ने के डर और सिस्टम फेल होने के डर से कारोबारियों, ट्रेडर्स और डीलरों नें एडवांस में 3 से 6 हफ्तों का गुड्स मंगा और भेज दिया है। इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च और ट्रेनिंग (आईएफिटीआरटी) के सीनियर अधिकारी एस पी शर्मा ने बताया कि दो से तीन हफ्ते पहले से ही इंटर स्टेट ट्रेड रूट पर ट्रक और कार्गो की मूवमेंट बढ़ गई है। कारोबारियों ने एडवांस में एक महीने तक का स्टॉक अपने गोदामों में मंगा लिया है। ताकि, ई-वे लागू होने पर उन्हें गुड्स या प्रोडक्ट को लेकर परेशानी न हो।