नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में यह स्वीकार किया कि आधार कार्ड धारकों का डाटा लीक हुआ है। हालांकि सरकार ने कहा कि यह लीक भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूएडीएआई) की ओर से नहीं हुआ है। साथ ही सरकार ने कहा कि जो लोग जानबूझकर आधार नहीं बनवा रहे हैं वे वास्तव में एक तरह से अपराध कर रहे हैं।
केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने न्यायमूर्ति एके सिकरी की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि कुछ सरकारी विभागों से आधार कार्ड धारकों का डाटा लीक हुआ है। ऐसा संभवत: पारदर्शिता बनाने के क्रम में हुआ होगा।
न्यायमूर्ति सिकरी ने बुधवार को अखबारों में छपी आधार डाटा लीक होने संबंधी खबरों के बारे में जानना चाहा। इस पर सरकार के वकील ने बताया कि इसमें गलती हो सकती है। उन्होंने कहा कि कुछ पहचान पत्र ‘हनुमान’ और कुत्तों के नाम पर बन गए होंगे लेकिन आधार सबसे प्रमाणिक बायोमैट्रिक सिस्टम है। वैसे कोई भी सिस्टम फुलप्रूफ नहीं है।
इस पर याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा कि केंद्र सरकार का सिर्फ यह कहना पर्याप्त नहीं है कि यूएडीएआई की ओर से डाटा लीक नहीं हो रहा है। एक आम नागरिक सभी सरकारी अथॉरिटी व विभागों को सरकार का ही हिस्सा समझता है। उल्लेखनीय है कि मंगलवार को अटॉर्नी जनरल ने पीठ के समक्ष कहा था कि आधार पूरी तरह से सुरक्षित है।
आधार के जरिए व्यक्ति की पहचान के साथ-साथ छेड़छाड़ नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड फर्जी तरीके से नहीं बनवाया जा सकता। अब तक सरकार को आधार में किसी तरह के फर्जीवाड़े का पता नहीं चला है। उन्होंने कहा कि काले धन और आतंकी फंड पर लगाम लगाने में आधार बेहतर कारगर है।
मालूम हो कि शीर्ष अदालत पैन कार्ड बनवाने और आयकर रिटर्न भरने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है।