कोटा। शहर का प्लेटफार्म नंबर 3 अब 26 कोच के बराबर लंबा होगा। अभी ये प्लेटफार्म केवल 15 कोच का है। प्लेटफार्म की लंबाई बढ़ने से लंबी दूरी की 24 व 26 कोच की ट्रेनों को इस प्लेटफार्म पर लिया जा सकेगा।
प्लेटफार्म नंबर चार पर भी कुछ ही दिनों बाद मुंबई की तरफ जाने वाली ट्रेनें रुक सकेगी।
इसके लिए यार्ड रिमॉडलिंग का काम अंतिम चरण में हैं। वहीं सेंट्रल पैनल सिस्टम लगाया जा रहा है। अब रेलवे स्टेशन क्षेत्र में सॉलिड स्टेट इंटरलॉकिंग का काम होगा। इसके तहत पूरा स्टेशन नॉन इंटरलॉकिंग होगा। पायलट कर ट्रेनों को प्लेटफार्म पर लाया जाएगा। इस कार्य को मार्च के अंत व अप्रैल में किया जाना संभावित हैं।
काम के चलते कारण ट्रेनों को गुड़ला से कोटा लाकर डकनिया की तरफ रवाना करने में समय लगेगा। अभी ट्रेन को डकनिया पहुंचने में 10 मिनट लगते हैं, लेकिन काम शुरू होने पर 50 मिनट से अधिक समय लगने की संभावना है। कार्य के दौरान प्लेटफार्म चार को सीधे रेलवे यार्ड से जोड़ दिया जाएगा।
साथ ही मुंबई की तरफ जाने वाली लाइन भी जोड़ी जाएगी। सेंट्रल पैनल सिस्टम लगाने के लिए रेलवे ड्राइवर-गार्ड लॉबी के पास भवन बनाया जा चुका है। उसमें उपकरण लगाए गए हैं। कार्य के लिए 28 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया था। मार्च के अंतिम सप्ताह व अप्रैल के शुरू में होने वाले सॉलिड स्टेट इंटरलॉकिंग के कार्य के लिए रेलवे प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी है।
कार्य के दौरान बीना की तरफ से आने वाली साप्ताहिक ट्रेनों को सोगरिया रेलवे स्टेशन, गुड़ला होकर निकाला जा सकता है। दिल्ली की तरफ से आने वाली ट्रेनों को गुड़ला होकर लाया जाएगा, लेकिन इसके लिए रेलकर्मी को ट्रेन को पायलट करके लाना होगा। इस काम में समय अधिक लगेगा।
साथ ही कई ट्रेनों को रद्द भी किया जा सकता है तथा कुछ ट्रेनों को सवाईमाधोपुर से ही वापस लौटाया जा सकता है। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि एसएसआई वर्क के लिए तैयारियां की जा रही है। कार्य के दौरान ट्रेनों को पायलट कर प्लेटफार्म तक लाना होगा।
अभी की स्थिति: कोटा में अभी प्लेटफार्म 1, 2 व 4 पर ही 24 कोच की ट्रेन खड़ी हो सकती हैं। प्लेटफार्म तीन छोटा होने के कारण इस प्लेटफार्म पर लंबी दूरी की कोटा से पास होने वाली ट्रेनों को नहीं लिया जाता है।
इसके चलते ट्रेनों को आउटर या आसपास के छोटे स्टेशनों पर खड़ा करना पड़ता है। इससे यात्री समय पर गंतव्य तक नहीं पहुंच पाते। ट्रेन संचालन में परेशानी आती है। दिल्ली-मुंबई रूट पर स्थित कोटा मंडल के मुख्यालय पर गिनती के प्लेटफार्म होने से नई ट्रेनों के संचालन पर भी असर पड़ता है।
इन ट्रेनों को रोकना पड़ता है: दिल्ली, गंगानगर, गोरखपुर, अमृतसर, पटना, जोधपुर, मुंबई, अजमेर, जबलपुर, इंदौर की तरफ से आने-जाने वाली ट्रेनों को आसपास के छोटे रेलवे स्टेशनों व आउटर पर रोकना पड़ता है।
ये होगा लाभ: प्लेटफार्म के लिए ट्रेनों को आउटर पर नहीं रोकना पड़ेगा, एक प्लेटफार्म अलग से मिलेगा। ट्रेनों समय में सुधार होगा। ऐसे में यात्री समय पर अपने घरों को पहुंच सकेंगे।
चार केबिन हटेंगे : यार्ड रिमॉडलिंग के तहत चार केबिन हटेंगे। केवल साउथ केबिन ही रह जाएगा। सिग्नल आपरेशन सेंट्रल ऑपरेटेड होगा। सिग्नल बदलने के कारण लंबी प्रक्रिया नहीं होगी।